जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में श्रावक के 12 व्रतों के शिविर के दौरान जयधुरंधर मुनि ने कहा देह और आत्मा यह दोनों भिन्न-भिन्न तत्व है । आत्मा अजर – अमर और अविनाशी है जबकि देह नश्वर है। चूंकी शरीर और आत्मा का संबंध जुड़ा हुआ है इसलिए शरीर की सार संभाल करना भी जरूरी हो जाता है।
एक साधक पहला सुख निरोगी काया सूत्र के अनुसार शरीर का भी ध्यान रखता है क्योंकि शरीर साधना का साधन बताया गया है । शरीर स्वस्थ होता है तो ही धर्म ध्यान में मन लगता है इंसान भूल यही करता है कि वह दिन-रात केवल शरीर के पोषण का ही ध्यान रखता है जबकि देह पोषण के साथ आत्म पोषण भी जरूरी है।
श्रावक के सातवें उपभोग परिभोख परिमाण व्रत का विवेचन करते हुए मुनि ने कहा इस व्रत से साधक के देह पोषण के साथ आत्म पोषण के भाव भी जुड़ जाते हैं और साधक मात्र कर्तव्य समझकर एवं शरीर की रक्षा के लिए वस्तुओं का उपयोग करता है। एक श्रावक को ऐसा देह पोषण नहीं करना चाहिए जिससे आत्म का शोषण होता हो।
संसार में रहते हुए सभी क्रियाएं करते हुए सब कुछ भोगते हुए भी एक श्रावक को कमल के समान निर्लिप्त जीवन जीना चाहिए । जिसके द्वारा वह सुखपूर्वक मोक्ष की प्राप्ति के लिए कदम बढ़ा सके। इसके लिए उसे आसक्ति घटानी होगी और उस आसक्ति को कम करने के लिए ही सातवां व्रत धारण करना जरूरी है ।
जीने के लिए आहार आदि की अनिवार्यता को समझते हुए एक श्रावक अनासक्त भाव से उन वस्तुओं का भोग – उपभोग करना चाहिए। एक गहरा बांध लेने से उसकी सभी क्रियाएं तो परिमित हुई जाती है और कर्म बंध भी सीमित हो जाते हैं ।साधक को इस बात का बोध होना चाहिए कि पुद्गलों में सुख नहीं है । सच्चा सुख तो आत्मा में है।
एक आदर्श श्रावक उपभोग परिभोग की वस्तुओं का सातवां व्रत में परिमाण करते हुए खाने-पीने, पहनने, ओढ़ने ,उठने, सोने आदि हर क्रिया की मर्यादा कर लेता है । सुबह उठने से लेकर रात सोने तक की समस्त दिनचर्या का रहस्य इस व्रत में सम्मिलित है। कौन सा काम पहले करना, कौन सा काम बाद में करना ,कब करना, कैसे करना इन सभी प्रश्नों का समाधान 26 बोलों में प्राप्त हो जाता है। विवेक पूर्ण तरीके से दैनिक क्रिया में उपयोग में आने वाली सभी वस्तुओं का परिमाण करते ही कर्म बंध से निजात प्राप्त होनी प्रारंभ हो जाती है।
सामूहिक विगय एकासन के अंतर्गत 85 से अधिक तपस्वी भाई बहनों ने हिस्सा लिया। जयमल जैन चातुर्मास समिति के प्रसार प्रचार चेयरमैन ज्ञानचंद कोठारी ने बताया कि रविवार का प्रवचन नियमित समय अनुसार प्रातः 9:30 बजे से होगा।