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देह, दिमाग, दिल की शुद्धि से जीवन बनता पवित्र : मुनि हिमांशुकुमार

देह, दिमाग, दिल की शुद्धि से जीवन बनता पवित्र : मुनि हिमांशुकुमार

Sagevaani.com /चेन्नई: हमारे जीवन में तीन प्रकार की शुद्धि होनी चाहिए- देह, दिमाग और दिल। इनकी शुद्धि से जीवन में आनन्द का वास होता है, पवित्रता बढ़ती है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता हैं- उपरोक्त विचार शनिवारीय प्रवचनमाला में महावीर जैन भवन, ट्रिप्लीकेन, चेन्नई में धर्म परिषद को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री हिमांशुकुमार ने कहें।

 मुनिश्री ने कहा कि जैनागमों में निर्जरा के बारह प्रकार बतायें गए है, इनकी साधना से तन, मन और भावों की शुद्धि होती है। देह की शुद्धि के लिए तप का सहारा लिया जाना चाहिए। तप से अनेकानेक लाइलाज बीमारीयां भी दूर हो सकती हैं। वर्तमान में डॉक्टर भी कहते हैं कि जलन, ऐसिडिटी, कब्ज इत्यादि होने पर रात्रि भोजन छोड़ना चाहिए। बुखार में लंगन (खाना छोड़ना) करना चाहिए। चातुर्मास्य समय में तपस्या की विशेष साधना करनी चाहिए। अतः तप से देह की शुद्धि हो सकती हैं।

 दूसरे बिन्दु पर प्रकाश डालते हुए मुनिश्री ने कहा कि दिमाग को नकारात्मकता रुपी कचरे से बचाना चाहिए। उसके लिए सत् साहित्य पढ़ना, वितराग पथ के पथिक साधु संतों का प्रवचन श्रवण करना चाहिए। तीसरे बिन्दु दिल की शुद्धि के लिए सतसंग करने, श्रद्धा भाव से संत महात्माओं की सेवा उपासना करने का आह्वान किया। प्रांसगिक व्यक्ति की घटना का उल्लेख करते हुए मुनिश्री ने कहा कि कभी कभी थोड़ी देर की संत साधकों की संगति जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाती हैं।

◆ मुनि श्री हेमंतकुमार ने कहा कि डिमाण्ड होने पर जैसे प्राप्त वस्तु प्रिय लगती है, सुखद अनुभूति कराती है। उसी तरह ज्ञान पिपासु के लिए जीन वाणी सुखद अहसास कराती हैं। हमारा शरीर नौका, आत्मा नाविक और यह संसार समुद्र के समान है। संसार रुपी समुद्र से पार पाने, मोक्षगामी बनने के लिए जैसे प्लेन, रेल यात्रा बिना उनसे आसक्ति, जुड़ाव से यात्रा सम्पन्न करते है। उसी तरह हमें हमारे शरीर पर भी आसक्त नहीं रहना चाहिए। शरीर रुपी नाव की भौतिक संसाधनों, सांसारिक क्रियाकलापों, नाम, यश, ख्याति, प्रर्दशन इत्यादि से दूरी महान मोक्ष की ओर बढ़ाने वाली होती है।

 इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। ध्यान के अन्तर्गत मुनिश्री ने वीतराग अनुप्रेक्षा करवाई। तत्पश्चात ‘जन्म जन्म की प्यास, बुझाती श्री जीन वाणी’ गीत के संगान से जनमेदनी को ओत:प्रोत किया। आगामी सुचनाओं, मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम परिसम्पन्न हुआ।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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