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देह की नहीं गुणों की होती है याद: साध्वी सुमित्रा

देह की नहीं गुणों की होती है याद: साध्वी सुमित्रा

आचार्य जयमल की जयंती मनाई

चेन्नई. कोडमबाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा के सानिध्य में बुधवार को आचार्य जयमल की जयंती मनाई गई। साध्वी ने कहा जयंती गुरु भगवंतों की महिमा के गुणगान के लिए मनाया जाता है। ऐसे मौके खुद के जीवन में उजाला करने के लिए मिलते हैं।

अंधकार और मोह माया के बंधनों से मुक्त होने का यह अवसर होता है। गुरु ही मनुष्य को उसके गलत भव से पार लगाने का कार्य करते हैं। ऐसे अवसर गंवाने वाले पछतावा के अलावा कुछ नहीं पाते। आचार्य जयमल ने अपने साथ दूसरों को भी कल्याण का मार्ग बतलाया।

जो जन्म लेकर दुनिया को कुछ देकर जाते हैं उन्हीं के गुणगान के लिए जयंती और पुण्यतिथि मनाई जाती है। ऐसे पल आने पर प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन मे बदलाव का लक्ष्य बना लेना चाहिए। गुरु के बताए मार्ग का अगर अनुसरण किया जाए तो जीवन के अनेकों कष्ट अपने आप ही समाप्त हो जाएंगे।

गुरु का मनुष्य पर अनंत उपकार हैं उनके उपकारों को याद रखने वाले जीवन का कल्याण कर लेते हैं। याद देह की नहीं बल्कि उनके गुणों की होती है। जयंती पर हम गुरु के देह को नहीं बल्कि उनके गुणों को याद करते हैं। ऐसे मौके आने के बाद भी अगर मनुष्य खुद में बदलाव नहीं करेगा तो उसका जीवन जहंा था वहीं रह जाएगा। जिस दिन मनुष्य ने गुरु बनाया था वह दिन उसके लिए धन्य था।

जीवन में बदलाव चाहिए तो मौके का लाभ लेने को तैयार रहना पड़ेगा। जीवन में जब तक वो गुण नहीं उतरेंगे तब तक बदलाव नहीं हो सकता। जीवन में आगे जाना है तो गुरु के गुणों का अनुसरण करना सीखें। आज जालना एवं पंजाब से आए भक्तोंने गुरु दर्शन किए।

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