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देश का बालक शिक्षित, तो देश सम्पन्न : श्री रामनिवास गोयल

देश का बालक शिक्षित, तो देश सम्पन्न : श्री रामनिवास गोयल

जैन विश्व भारती संस्थान के ग्यारहवां दीक्षांत समारोह हुआ आयोजित

माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में जैन विश्व भारती संस्थान के ग्यारहवें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि श्री राम निवास गोयल, दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा कि मुझे जब डिग्री प्राप्त हुई थी, उस डिग्री के वक्त काला चौला पहन कर प्रदान की गई थी| मैं यहां भी कुछ उसी प्रकार के वातावरण को सोच रहा था, लेकिन मैं बड़ा आश्चर्य चकित हूँ, उस काले वस्त्र जो अंधेरे का प्रतीक है, इस संस्थान ने उजले वस्त्रों में परिवर्तित किया है, यह मेरे लिए बड़ा सुखद आश्चर्य है|

मैं बहुत कुछ इससे अपने आप को अनुभव लेकर जा रहा हूँ| मैं बड़ा गौरवमय महसूस कर रहा हूँ, मुझे नहीं मालूम कि मुझ जैसे तुच्छ व्यक्ति को इस दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनाने का क्यों विचार आया, कैसे विचार आया, मैं नहीं जानता| लेकिन मैं प्रभु को, आचार्य श्री को प्रणाम करता हूँ, कि मुझे आज इस अवसर पर कुछ शब्द रखने का अवसर प्राप्त हुआ हैं|

श्री गोयल ने आगे कहा कि हम, सरकारे सामाजिक ज्ञान की बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, सामाजिक न्याय की बात करते हैं, लेकिन वास्तविक में सामाजिक न्याय दिखाई नहीं देता, प्रकट नहीं होता| देश में शिक्षा की दो पद्धतियां हैं – जिसके जेब में पैसा हैं, वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजता हैं और जिसके जेब में पैसा नहीं है, अधिकांश 60% जनता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजती हैं|
श्री गोयल ने गौरव के साथ कहा कि शिक्षा जगत में जितनी बड़ी क्रांति हम लेकर आयेंगे, सरकारों के भरोसे ही नहीं|

इस देश में अनेक सम्प्रदाय हैं, अपने अपने सम्प्रदायों के अधिकारों को सरकारों से मांगने की आदत सबमें है, लेकिन एक मात्र सम्प्रदाय तेरापंथ, जिसने जैन विश्व भारती संस्थान के नाम से एक विशाल विश्वविद्यालय बनाया हुआ हैं| मुझे कहीं और ऐसा दिखाई नहीं देता| सभी केवल मांग करते हैं, लेकिन समाज को कुछ दे सके, यह बड़ी बात हैं|

श्री गोयल ने बड़ी ही विनम्रता के साथ कहा कि मैं बहुत बहुत नत मस्तक होकर प्रणाम करता हूँ, साधुवाद देता हूँ कि आप लोग, जिस ढ़ग से अपनी नेक कमाई में से, अपने उपार्जन में से, जितना संभव हो सकता है, राशी निकाल करके, इस देश को शिक्षा जगत में अपने पैरों पर खड़ा होने में प्रयास कर रहे हैं|

देश का बालक शिक्षित, तो देश सम्पन्न

श्री गोयल ने आगे कहा कि अगर मेरे देश का बालक शिक्षित होगा, तो देश सम्पन्न हो जायेगा| वो पुल भी बना लेगा, वो अब्दुल कलाम भी बन जायेगा, वो राफेल भी बना लेगा, वो हथियार भी बना लेगा| आवश्यकता है कि हम उसको उस उच्च कोटि की शिक्षा देकर, खड़ा तो करे|

श्री गोयल ने कछुए और खरगोश की घटना बताते हुए कहा कि जैसे खरगोश ने कछुए को रैस में अपनी पीठ पर बैठा कर जीत हार को ही समाप्त कर दिया| उसी तरह आप कमजोर वर्ग का कोई भी व्यक्ति है, उसको आप पीठ पर लेकर चलने का प्रयास कर रहे हैं, यह मेरे लिए सुखद आश्चर्य हैं| मैं बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ!

अपने लक्ष्य पर दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़े

श्री गोयल ने आगे कहा कि जो विद्यार्थी आज विभिन्न विषयों में, इस दीक्षांत समारोह में उपाधी से सम्मानित हुए हैं| वे संसार में जब आगे बढ़ेंगे, बहुत उलझने आयेगी, वे उसे स्वीकार करते हुए, आगे बढ़े| प्रगति करना बहुत आसान है, उलझन आये, उस समय सूत (कपास) के धागे की तरह कात लिजिये| गुरूवर को ध्यान करके चिन्तन करिए कि मेरे कार्य में, मेरे परिवार में, प्रगति में यह बाधा आई, उसको उस चरखे पर बैठ करके कात लिजिये| अपने लक्ष्य पर दृढ़ विश्वास के साथ आगे बढ़े|

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