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दूसरो को वही दो जो खुद को पसंद हो: साध्वी सुमित्रा

दूसरो को वही दो जो खुद को पसंद हो: साध्वी सुमित्रा

चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने उत्तराध्ययन सूत्र के माध्यम से कहा कि सूत्र का 33वां अध्यन परम प्रकृति अध्यन है। इस विषय को अगर गहन और गम्भीरता से समझा जाए तो निश्चय ही सूत्र का मतलब और महत्व समझ आ जायेगा।

इस सूत्र में परमात्मा ने कर्म बंध के बारे में बतलाया है। सूत्र में कर्मो के स्वभाव और कितने प्रकार का होता है के बारे में उल्लेख है। अगर समय देकर अध्यन कर लिया जाए तो जीवन के अंधेरे दूर हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि क्रोध, मोह, माया और लोभ की तीब्रता की वजह से कषाय बढ़ते हैं और कर्मो का बंध होता है। इन चारों में से एक का भी अगर आत्मा में उदय होगा तो कषाय बढ़ेंगे और कर्मो का बंध निश्चित है। कर्मो का बंध होते ही जीवन के समश्या बढ़ जाएंगे।

इससे मनुष्य जितना दूर होगा उतना सुखी रहेगा। उन्होंने कहा कि कर्म एक बार अगर बंध जाते है तो आसानी से समाप्त नहीं होते है। जब तक बदला पूरा नहीं होता तब तक बंध कर्म नहीं खुलते है। इसलिए मनुष्य को इस मामले में तो बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

अगर किसी का एक्सीडेंट हुवा तो उसको चोट लगती है तो यह उसके कर्म की वजह से होता है। किसी को दुख और वेदना देने वाले को उसका फल यही मिलता है। इसलिए किसी को कुछ देने से पहले खुद के बारे में भी सोच लेना चाहिए कि अगर वह वस्तु आपको मिले तो कैसा लगेगा। किसी के लिए गड्डा खोदोगे तो निश्चय उसमे आपको ही जाना है।

गड्ढे में जाने के लिए तैयार हो तभी दूसरो के लिए बनाना। अन्यथा जीवन नर्क में जाते समय नहीं लगेगा। आज से सध्वी सुमित्रा ने एकांत मौन साधना 3 दिनों के लिए करेंगे और महामंगलिक सोमवार को देंगे। आज माता पद्मावती का एकाशना हुवा। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया ।

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