चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि संसार मे मनुष्य का जीवन भी खेलने वाले एक खिलौने जैसा हो गया है। खेलते खेलते मनुष्य अटक कर भटक रहा है। अगर मनुष्य जीवन मे अटक रहा है तो नर्क के मार्ग पर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य ज्ञानियो के बताए मार्गो का अनुसरण करे तो जीवन मे अटकना बंद हो जाएगा। जीवन मे आगे जाना है तो भटकना छोड़े। साध्वी सुविधि ने कहा कि मनुष्य में दुश्मनों को भी मित्र बनाने का भाव होना चाहिए। संसार मे रहते हुए हर मोड़ पर शत्रु पैदा होते रहेंगे। इसे खत्म करने में जीवन निकल जायेगा पर यह समाप्त नही होगा।
उन्होंने कहा कि महावीर भगवान कहते है कि दुश्मन खत्म हो या ना हो पर अपने भाव से इसको खत्म कर लेना चाहिए।उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने शब्दों से दुश्मनी पैदा करता है। अगर लोग अपनी जुबान पर नियंत्रण करले तो किसी से दुश्मनी ही नही होगी। जहा पर अच्छा संबंध होता है वहा पर गाली भी प्यारी लगती है।
लेकिन जहा पर संबंध अच्छा नही होता वहा अच्छे शब्द भी बुरे बन जाते है। मनुष्य अपने स्वभाव से मित्र और दुश्मन बनाते है। स्वभाव जैसा होगा उसे वैसा ही सम्मान मिलेगा। स्वभाव अच्छा रहा तो गलत चीज भी अच्छी लगेगी।
मनुष्य अगर अपने शब्दो, स्वभाव और समझ मे सुधार करेगा तो उसके जीवन मे दुश्मन नही दुश्मन के प्रति भी मित्रता का भाव रखने वाले महान होते है। किसी के प्रति गलत भाव नही लाना चाहिए।