पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयम लता ने कहां दुनिया आस्था के दम पर जिंदा है।जिस दिन आस्था का दीप बुझ जाएगा उस दिन संसार मर जाएगा। व्यर्थ है यहां वहां मत भटको, वित्तरागी की शरण को प्राप्त हो जाओ। आगे अंग्रेजी वर्णमाला के प्रथम अक्षर ‘A’ से अन्न पुण्य के महत्व पर प्रकाश डालते हुए फरमाया अन्न दान करके पुण्य का उपार्जन करना चाहिए। साधु एवं त्यागी आत्मा को सुपात्र दान देना धर्म का कारण है। किंतु उनके अलावा अनाथ, अपंग, दरिद्र, असहाय,भूखे या किसी संकटग्रस्त विपत्ति के मारे व्यक्ति को भूख से पीड़ित देखकर उसे अन्नदान करना, उसकी भूख दूर करने का प्रयास करना यह अन्न पुण्य में आ जाता है। साध्वी जी ने महान दानी जगड़ुशाह, चांपाशाह, खेमाशाह आदि कई बड़े दानवीर जैन श्रावको का उल्लेख किया जिन्होंने अन्नदान द्वारा लाखों मनुष्यों को भूख से बिलबिलाकर मौत के मुंह में जाने से बचाया था।
महासती कमलप्रज्ञा ने कहां व्यक्ति का व्यवहार उसके जीवन की पहचान है। मधुर व्यवहार से घर समाज व पारिवारिक माहौल खुशनुमा बन जाता है। मानसिक सोच और विचार से आचार और व्यवहार बनता है। दुकान की चौखट पर हो, परिवार के दहलीज पर हो या समाज के मंच पर आपका व्यवहार ही जीवन का दर्पण है। धर्म सभा में मंजू बाबेल ने 9 उपवास, मीना सुराणा ने 5 उपवास, विधि आंचलिया ने 3 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। दोपहर में महिला शिविर का आयोजन हुआ। कल सुबह 9:00 बजे से 10:00 बजे तक महा मंगलकारी अनुष्ठान रहेगा।