हमें कमजोर नही , शुरवीर बनना चाहिए! लक्ष्य अभयदान या जीवदया का रखो, जीवदयासे सुख की प्राप्ति हो सकती है! – डॉ. मेघाश्री जी। करलो अच्छा करम, जीवनमे अपनाने चाहिए पॉंच नियम! – साध्वी जिनआज्ञा श्री जी।
आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे उपाध्याय श्री पुष्करमुनीजी म.सा. की अज्ञानुवर्ती सुशिष्या डॉ राज श्री जी म.सा.आदि ठाणा 4 चातुर्मासार्थ विराजीत है! हर रोज़ जिनवाणी के माध्यमसे धर्म अनुरागीयोंका प्रबोधन कर धर्म जागरण का कार्य बहुत ही सुचारु रुपसे एवं श्रध्दा भावसे जारी है! मनमें भक्ति, वचन में शक्ति आवश्यक है!
तन मन की मधुरता का संगम विनयपुर्वक की गयी वंदना है और वह ही सही वंदना कहलाती है! I card, Invitation card, SIM card, ATM card आदि का उल्लेख कर श्रध्दा, प्रेम, परमार्थ, आदि का ज़िक्र कर छोटे छोटे द्रष्टांत सामने रखे! अहिंसा, सत्यशील जीवन, चोरी से मुक्ति, शिलवान एवं अपरिग्रह व्रतका पालन की अनिवार्यता अपने उद् बोधन में विशद की!
संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने धर्मअनुरागीयोंका स्वागत कर पर्युषण पर्व मे ज्यादासे ज़्यादा तप आराधना, अखंडित नवकार मंत्र जाप, दया पौशध एवं दान करनेका विनम्रता पुर्व एहलान किया!


