साध्वी नूतन प्रभाश्री जी और वंदनाश्री जी ने जीवन को पाप मुक्त बनाने का दिया संदेश
Sagevaani.com @शिवपुरी। दीपावली के पावन त्यौहार पर अपने घरों की साफ सफाई और अपनी सुख सुविधा का ही ध्यान ना रखें, बल्कि इस पर्व की खुशियों में उन जरुरतमंदों को शामिल करें जिनके घरों में घनघोर अंधेरा है। समाज के ऐसे जरुरतमंद व्यक्तियों के साथ यदि आपने अपनी खुशियां बांटी तो आपका दीपावली का पर्व मनाना सार्थक होगा।
इसकी तैयारी अभी से शुरू कर देना चाहिए और देखना चाहिए कि किन के घरों को हम रोशन कर सकते हैं। उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी ने पोषद भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी और साध्वी वंदनाश्री जी ने भगवान महावीर के संदेशों की व्याख्या करते हुए जीवन को पाप मुक्त बनाने का आव्हान किया। धर्मसभा में पुणे, करही, वीणागंज आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में धर्मांवलंबी जैन साध्वियों के दर्शन, वंदन और प्रवचन सुनने के लिए पधारे। बाहर से आए धर्मांवलंबियों ने इस अवसर पर भजन गाकर तथा अपने विचार व्यक्त कर गुरू भक्ति की महिमा बताई।
धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने थोड़ा सा समय मिला है, थोड़ी सी जिंदगी के लिए, आओ चलो धर्म कर लो यही है जीवन की खुशी… भजन का गायन किया। साध्वी वंदनाश्री जी ने श्रावक के गुणों की व्याख्या करते हुए कहा कि श्रावक को पाप भीरु होना चाहिए अर्थात् उसे पाप करने से डरना चाहिए। उन्होंने बताया कि जो पाप करने से डरता है उसे फिर किसी से डरने की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जिंदगी में हम जितनी सुविधाएं बढ़ाएंगे उतना पाप बढ़ेगा। इसलिए अपनी सुविधाओं और आवश्यकताओं को सीमित करो। यह आवश्यक नहीं है कि आप साधु संन्यासी बनें, लेकिन यह आवश्यक है कि आप अपने जीवन को मर्यादा में रखें। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी जैन दर्शन में वर्णित 18 पापों की व्याख्या कर रही हैं। आज उन्होंने लोभ पाप की व्याख्या करते हुए कहा कि लोभ सभी पापों का बाप है।
जिंदगी में लोभ पाप आ गया तो इससे अन्य पाप आने की संभावनाएं खुल जाती हैं। लोभ क्या है? इसे भी उन्होंने बखूबी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यदि हम प्रशंसा के आकांक्षी हैं तो प्रशंसा अपनी तारीफ की यह भावना भी लोभ की श्रेणी में है। जिस व्यक्ति की जिंदगी से लोभ तत्व विदा हो जाता है, फिर उसे मोक्ष पाने से कोई नहीं रोक सकता। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने कहा कि दीपावली त्यौहार पर हम देखें कि हमारे पड़ोसियों के पास कपड़े हैं अथवा नहीं, वह खाने के लिए मिठाई खरीद सकते हैं अथवा नहीं, इसके बाद उन जरुरतमंदों के लिए हम दीपावली त्यौहार पर वे चीज उपलब्ध कराएं जिनसे हम त्यौहार मना रहे हैं।