चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा आत्मा को मंगल की ओर ले जाने के लिए पर्यूषण पर्व आता है। इसमें एक पल भी गंवाना नहीं चाहिए। मनुष्य सांसारिक जीवन में फंसा रहेगा तो उसकी जरूरतें कभी समाप्त नही होंगी।
आत्मा का जीवन बहुत कठिन होता है उसको जीना आसान नही होता। लेकिन आत्मा के लिए जीये बिना कल्याण नहीं होता। यह जीवन जिनवाणी श्रवण के लिए मिला है इसलिए सांसारिक मोह माया से छुट्टी लेकर अध्यात्म की ओर बढऩा चाहिए। साध्वी सुविधि ने कहा साधारण पत्थर से प्रतिमा नही बनाई जाती बल्कि पत्थर में पहले से ही प्रतिमा विद्यमान होती है बस ऊपर के आवरण को दूर किया तो प्रतिमा बन जाती है।
उसी प्रकार से मनुष्य की आत्मा है जैसे ही पुरुषार्थ किया जाएगा आत्मा से आवरण हट जायंगे और शुद्ध हो जाएगी। जिनकी भावना प्रबल होती है उनके लिए अवसर चल कर आते हैं। इस कलियुग में अगर संसार और संस्कृति को बचाना है तो शास्त्र वाचन, तपस्या, साधार्मिक भक्ति और दान करना होगा।
वर्तमान में लोग अपनी पेटियां भरने में लगे हैं दान नहीं कर रहे हैं लेकिन याद रहे पुण्य के उदय के बाद भी पाप करने पर ही धन मिलता है इसलिए उसको इक_ा करने के साथ दान भी करते रहना चाहिए। धन को कमाने के लिए किए हुवे पाप से अगर बचना है तो दान करना होगा।
खुद के साथ अपने बच्चों को भी दान देना सीखाना चाहिए। संग्रह से पीछे हटकर दान के लिए आगे बढ़ें।भगवान महावीर स्वामी जन्म कल्याणक पर संस्कार मंच एवं जय संस्कार मिहला मंडल द्वारा नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें मंगलचंद खारीवाल, पंकज-राहुल कोठारी, हंसराज-प्रवीण नाहर, महावीर लूणावत, राखी गुलेछा का सहयोग रहा। रविवार को प्रवर्तक पन्नालाल की जन्म जयन्ती मनाई जाएगी।