चेन्नई. कोडम्ïबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा अगर आज किसी को किसी प्रकार के वैभव की प्राप्ति हुई है तो यह उसके पुण्य के अर्जन का असर है। अगर मानव भव पाकर मनुष्य दान के मार्ग पर आगे बढ़े तो उसका जीवन सफल हो जाएगा। दान में दिया हुआ धन कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। समय आने पर मनुष्य को उसका पुण्य अवश्य ही मिलता है।
आज के समय में लोग मन में सच्ची भावना से नहीं दान नहीं करते। ऊपरी मन से किया हुआ दान फलदाई नहीं होता। दान की प्रक्रिया मनुष्य को पाप मार्ग से बचाने का कार्य करती है। अगर दान करना है तो अंतरात्मा से ही करें। हर कार्य करने का सही नियम होता है अगर उन नियमों के अनुसार कार्य किया जाए तो सफलता निश्चय ही मिलती है।
लोग सभा में आकर धर्म ध्यान का कार्य करते है और उन्हें लगता है कि आसानी से जीवन बदल जाएगा। लेकिन जीवन में बदलाव तभी संभव है जब धर्म करने के तरीको को जानेंगे। परमत्मा कहते हैं अगर नौ प्रकार के पुण्य में से मानव सच्चे मन से एक भी पुण्य कर लेगा तो उसका जीवन बदल जाएगा। वर्तमान में मनुष्य का ध्यान धर्म से भटक कर किसी और दिशा की ओर बढ़ रहा है।
भटकाव की वजह से मानव भव में आने के बाद भी अपने कर्मो की वजह से लोग परेशान हो रहे हंै। समय आ गया है जब मनुष्य चिंतन कर भटकते हुए मार्ग से निकल कर सही मार्ग की ओर बढ़े। एक बार समय निकल जाने पर पछताने से भी समय वापस नहीं आएगा। जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो सच्चे मन से सही मार्ग की ओर बढ़ते हैं।