जयमल जयंती पर पंचदिवसीय कार्यक्रम 11 से
चेन्नई. एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर, पुरुषावाक्कम में विराजित साध्वी उमराकंवर ‘अर्चना’ की सुशिष्याएं साध्वी कंचनकुंवर व साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधा’ के सान्निध्य में साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषा’ ने कहा कि जिंदगी को सही बनाने के लिए भगवान महावीर ने पुण्य के लिए ऐसे-ऐसे मार्ग बताए हैं कि जीवन खिलेगा ही खिलेगा। किसी को खिलाकर खाना पुण्य का बंध होता है।
भगवान बनने से पहले प्रभु महावीर भी एक भव में ग्राम सेवक थे और उनका दृढ़ संकल्प था कि किसी को भोजन कराकर फिर स्वयं करना। वहीं से उनकी जिंदगी का, गृहस्थी का सुहाना सफर शुरू हुआ, इसीलिए दान, शील, तप और भावना का मार्ग प्रशस्त किया है। इनसे दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है। व्यक्ति जीवन में प्राप्त साधनों से बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है लेकिन कमी है तो सिर्फ भावना की।
कंजूस व्यक्ति दूसरों का दान देखकर खिन्न होता है। स्वयं दान करें, दूसरों को प्रेरित कर कराएं और दूसरों के दान की अनुमोदना करें, इन तीनों का समान ही फल मिलता है। इससे मन की प्रसन्नता के साथ पुण्य अर्जित कर सकते हैं। जो दान नहीं करते उनके मरने के बाद उस संपत्ति को कौन पुण्य में लगाएगा या पाप में लगाएगा, पता नहीं।
लक्ष्मी चंचल है उसका अभिमान न करें। संचय में जो खुशी नहीं हुई वह दान देने में मिलती है। इतिहास में ऐसे महापुरुषों के उदाहरण भरे हैं जिन्होंने असहायों की सहायता की। तीन प्रकार के दान हैं- पहला- सात्विक दान जो प्रसन्नता के साथ दिया जाए। दूसरा राजसी दान जो वापस पाने के भाव से दिया जाए और तीसरा तामसिक दान जो तिरस्कार के साथ दिया जाए।
साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने कहा कि जीव की दो अवस्थाएं हैं- सिद्ध और संसारी अवस्था। धर्मसभा में सुमन बोहरा, रेखा भंडारी, सुरेन्द्र भंडरी के नौ की तपस्या की पच्चखावणी हुई। श्री मधुकर उमराव अर्चना चातुर्मास समिति द्वारा तपस्वियों का सम्मान किया और उपस्थित सभी ने तप की अनुमोदना की।
श्री उमराव अर्चना चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री हीराचंद पींचा ने बताया कि 11 से 15 सितम्बर तक आचार्य जयमल महाराज की जयंती पर पंचदिवसीय कार्यक्रमों में 11 को जयमल जाप, 12 को महिलाओं के लिए भिक्षुदया, 13 को गुणगान दिवस, 14-15 को मिडब्रेन एक्टिवेशन शिविर और 15 को जयमल टास्क सहित विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।