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दानधर्म में जैन बेंगलूरियन्स को कोई सानी नहीं: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

दानधर्म में जैन बेंगलूरियन्स को कोई सानी नहीं: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

जीवन परिवर्तन का एवं परमात्मा से साक्षात्कार का अवसर है पर्व पर्युषण

बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में पर्युषण पर्व पर अष्टदिवसीय आध्यात्मिक आयोजनों की श्रृंखला में बुधवार को श्रमण संघीय जैन दिवाकरीय, शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमदलताजी ने देवकी का दान व ममतामयी मां विषयक प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन में पुण्य के संचय के लिए दान अवश्य करना चाहिए। साध्वीश्रीजी ने बेंगलूरु के जैन समाज के उदारमना लोगों के राष्ट्रीय स्तर पर दानधर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान का अनुमोदना के साथ जिक्र भी किया।
गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में डाॅ.कुुमुदलताजी ने कहा कि मंदिर, स्थानक, धर्मशाला के निर्माण या किसी भी धार्मिक-सामाजिक आयोजन में भागीदारी-सहयोग का कार्यक्रम हो जैन बेंगलूरियन्स का दान-धर्म व परोपकार के क्षेत्र में महत्ती योगदान में कोई सानी नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति श्रद्धा, आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ दान के प्रति सुनहरी भावना व्यक्ति के लिए कर्मनिर्जरा के साथ-साथ मोक्ष व स्वर्ग के द्वार खोलती है यही नहीं तीर्थंकर गोत्र का उपार्जन भी होता है।
धन के संग्रह के साथ वक्त के अनुसार एक रुपये से लेकर कितनी भी राशि हो दान का महत्व सर्वश्रेष्ठ ही बताया गया है। साध्वीश्री ने अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए चातुर्मासिक आयोजन में पर्व पर्युषण मेें दान के माध्यम से जीवन एवं भव को सार्थक करने की प्रेरणा भी दी। उन्होंने कहा कि ममतामयी मां के उपकारों को जिंदगी में कभी भुलाया नहीं जा सकता है। वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली पीढ़ी के नाम अपने प्रवचन में डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि संस्कारों के पोषण के साथ इस शिक्षा में व्यक्ति में विवेक व नम्रता भी होनी जरुरी है, अन्यथा ऐसी शिक्षा शून्य होगी। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने गीतिकाओं के माध्यम से मां की महिमा के गुणगान किए।
उन्होंने कहा कि आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए वर्ष पर्यंत भले ही ना सही लेकिन आठ दिनों में प्रभु महावीर की वाणी का श्रवण करके, श्रद्धाभाव से भक्ति करके तथा दानधर्म के क्षेत्र में अग्रणी रहते हुए परमात्मा से साक्षात्कार अर्थात् जीवन परिवर्तन किया जा सकता है। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने प्रातः के सत्र में प्रार्थना, अंतकृतदशांग सूत्र एवं कल्पसूत्र का वाचन किया। उन्होंने पर्व पर्युषण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन आठ दिनों में किए गए दानधर्म का हजारगुना फल प्राप्त होता है।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने स्तवन सुनाया। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि धर्मसभा में महिला समिति के अध्यक्ष उषा मूथा के नेतृत्व में महिलाओं ने ममतामयी मां से जुडी़ गीतिका प्रस्तुत की। प्रवचन पश्चात् साध्वीवृंद की निश्रा में कौन बनेगा भाग्यशाली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन आयोजित होने वाली जयजिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः सीमा सिंघवी, जंबू धारीवाल व शांताबाई को पुरस्कृृत किया गया।
समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि धर्मसभा में हैदराबाद व नवसारी सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। रांका ने बताया कि विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रद्धालुओं को साध्वीवृंद द्वारा पच्चखान कराए गए। अशोक कुमार गादिया ने संचालन किया। सभी का आभार युवा समिति के अध्यक्ष राजेश गोलेच्छा व मंत्री किशोर बाफना ने जताया।

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