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दया अहिंसा और परमार्थ को अपनाएं – साध्वी संयमलता

दया अहिंसा और परमार्थ को अपनाएं – साध्वी संयमलता

पनवेल में गुरु मिश्री- रूप जन्मोत्सव भव्य रुप से हुआ संपन्न

पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. सा एवं वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान श्री रूप मुनि जी म. सा. की पुण्यतिथि के निमित्त गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी संयमलता ने मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. सा. के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा की दया अहिंसा और परमार्थ के कार्य से देश और समाज की दशा सुधारी थी। वे एक वटवृक्ष थे जिसकी छाया तले लाखों दुखी प्राणियों को शांति मिलती थी। वह एक सुंदर गुलाब थे जिसकी विद्यमानता ही गुलशन को महका देती थी।

वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान श्री रूप मुनि जी की जीवनी पर बखान करते हुए कहा कि वे आत्मबल और मनोबल के धनी थे। जो भी उनके चरणों में आता अपने दुख, कलेश व परेशानियां उनकी झोली में डाल देता और बदले में सुख शांति और प्रसन्नता लेकर लौटता। आप एक ऐसे कुशल व्यक्ति थे जो भंवर में फंसी किश्ती को बड़ी आसानी से बाहर ले आते थे। आपकी एक नजर लोगों को निहाल और मालामाल बना देती थी।

आपकी साधना में विकारों का बहिष्कार था, विचारों का परिष्कार था, एवं आत्मा का साक्षात्कार था। महासती अमितप्रज्ञा ने कहा घर में बहू लाना, बहुरानी मत लाना। बहू आएगी तो घर में संस्कार लाएगी और बहु रानी आएगी तो घर में कार लाएगी। सासु बहु को बेटी मानें और बहू सास को मां माने, ऐसा करने से परिवार हरिद्वार बन जाएगा। धर्म सभा में कोटा, बारडोली, जयपुर आदि से गुरु भक्तों ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया। दोपहर में धार्मिक प्रश्न प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें 150 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।

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