श्री हीराबाग जैन स्थानक सेपिंग्स रोड में विराजित साध्वी आगमश्री जी म सा ने कहा कि संकल्प का प्रत्याख्यान केवल खाने की रोटी, मिठाई, सब्जी, दाल नहीं मिला तो क्या वह त्याग हे? नहीं त्याग वो है जो आपको मिली हुई सामग्री का स्वेच्छा से उपयोग नहीं किया वह त्याग है।
पानी को बांधने का काम पाईप ने किया, बिजली को बांधने का काम बल्ब ने किया, हवा को बांधने का काम ट्यूब ने किया उसी प्रकार जीवन को बांधने का काम प्रत्याख्यान ने किया। ऐसे अम्बड संन्यासी ने प्रत्याख्यान किये उपवाई सूत्र में बताया है एक नहीं 700 जनों अपने प्राण त्याग दिए क्योंकि वहां पानी की आज्ञा देने वाला कोई नहीं था।
साध्वी धैर्याश्री जी म सा ने बताया समझदारी से पेश आना नहीं आया तो जिंदगी में हमने क्या पाया? छः घड़ों के माध्यम से बताया जिसका वर्णन नंदीसूत्र में है अज्ञानी होना उतना खतरनाक नहीं है जितना अधूरा ज्ञानी होना बहुत खतरनाक है। गौतम जी नाहर ने संचालन करते हुवे बताया कि बहुत ही हर्ष हो रहा है कि चातुर्मास के प्रारंभ में 15-15 जैसी बड़ी तपस्या हो रही है।