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त्याग का संकल्प लेने वालों को मिला तपस्वी साध्वी को पारणा कराने का लाभ

त्याग का संकल्प लेने वालों को मिला तपस्वी साध्वी को पारणा कराने का लाभ

SAgevaani.com @शिवपुरी। लगभग 45 दिन से सिद्धि तप की आराधना कर रहीं प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज की सुशिष्या नेपाल प्रचारिका साध्वी पूनमश्री जी की तपस्या पूर्ण होने पर आज उन्हें पारणा कराने का लाभ उन श्रावक-श्राविकाओं को मिला जिन्होंने कोई ना कोई व्रत और संकल्प लिया है।

इनमें ब्रह्मचर्य व्रत के पालन से लेकर 8 उपवास की तपस्या सहित अन्य धार्मिक संकल्प भी शामिल हैं। साध्वी पूनमश्री जी ने आहार श्रावक धर्मेन्द्र गूगलिया के निवास स्थान पर लिया। इस अवसर पर साध्वी रमणीक कुंवर जी ने तप और त्याग की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में तप को अमृत द्वार की संज्ञा दी गई है। मोक्ष जाने का यह एक मार्ग है। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि मनुष्य को प्रतिदिन कोई ना कोई त्याग के प”ाखाण अवश्य लेना चाहिए। जिससे हम हिंसा आदि दोषों से बच सकते हैं और कर्मों की निर्जरा कर सकते हैं। सिद्धि तप की पूर्णाहूति पर अनेक तपस्याएं कर चुकीं साध्वी पूनमश्री जी को जैन श्रीसंघ ने कल तपस्वी रत्ना की उपाधि से अलंकृत किया था।

लगभग डेढ़ माह से सिद्धि तप कर रहीं साध्वी पूनमश्री जी शुक्रवार को तप पूर्ण कर पारणा ग्रहण करने के अवसर पर कमला भवन में सुबह से ही दर्शनार्थियों का इक_ा होना शुरू हो गया था। साध्वी पूनमश्री जी के तप की अनुमोदना में कल 61 भाई और बहनों ने उपवास व्रत किया था।

उनका भी आज पारणा होना था। तपस्वियों को पारणा कराने का लाभ बल्लभचंद जी, पदमचंद जी, शैलेष कुमार जी कोचेटा परिवार ने उठाया था। श्रावक श्राविका पारणा करने के बाद कमला भवन पहुंचे जहां उन्होंने तपस्वी साध्वी पूनमश्री की जय-जयकार के नारे लगाए।

इस अवसर पर साध्वी जयश्री जी और साध्वी वंदनाश्री जी ने तपस्या की अनुमोदना में सुंदर भजनों का गायन किया और साध्वी रमणीक कुंवर जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि सिद्ध गति की ओर प्रयाण करने का सिद्धि तप एक मार्ग है। सिद्धि तप सिर्फ अनशन ही नहीं, बल्कि इस दौरान अपने मन पर भी नियंत्रण रखा जाता है। तप मन को गुलाम बनाने का एक माध्यम है। उन्होंने साध्वी पूनमश्री जी के सिद्धि तप की अनुमोदना करने के लिए श्रावक और श्राविकाओं को साधुवाद दिया।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि सिद्धि तप के बाद अब तपस्वी साध्वी को पारणा कराना है और पारणा कराने का लाभ उन्हीं भाई बहनों को मिलेगा जो कोई ना कोई संकल्प लेंगे। उनके आव्हान के बाद चातुर्मास कमेटी के कोषाध्यक्ष अशोक जैन और विपिन सांखला सिंकी सबसे पहले आए और उन्होंने महाराजश्री द्वारा बताए गए त्याग को करने का संकल्प लिया। संकल्प लेने वालों में सुमत कोचेटा, धर्मेन्द्र गूगलिया, संजय जैन आदि भी शामिल थे।

उनके अलावा भी अन्य कई भाई बहनों ने रात्रि भोजन से लेकर नवकारसी, माला फेरने आदि के संकल्प एक साल के लिए स्वीकार किए। साध्वी पूनमश्री जी ने 8 उपवास की तपस्या कर रही श्रीमती सुमन कोठारी के करकमलों से भी आहार ग्रहण किया। श्रीमती कोठारी ने महाराजश्री के आदेश पर आयंबिल की तपस्या करने वाले श्रावक बंधु का सम्मान किया। इस अवसर पर गूगलिया परिवार द्वारा साध्वी रमणीक कुंवर जी को पात्र की भेंट दी।

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