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तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक सामायिक दिवस के रुप में मनाया गया

तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक सामायिक दिवस के रुप में मनाया गया

चेन्नई :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक सामायिक दिवस के रुप में मनाया गया|

वरिष्ठ स्वाध्यायी गौतमचन्दजी मुणोत व कांतिलालजी तातेड़ के संग उपस्थित श्रद्धालुओं ने तुमसे लगी लगन,ले लो अपनी शरण,पार्श्व प्यारा प्राथना करते हुए पार्श्वनाथ की स्तुति की | स्वाध्यायी वीर भ्राता-पुत्र आर वीरेन्द्रजी कांकरिया ने प्रभु पार्श्वनाथ के गुणगान में ह्रदयस्पर्शी भाव प्रस्तुत किये |

श्रावक संघ, तमिलनाडु के निवर्तमान कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने पार्श्वनाथ भगवान के मरुभूति के भव से प्रमुख दस भवों का नाम सहित उल्लेख करते हुए बताया कि बालक पार्श्व का जन्म वाराणसी में महाराजा अश्वसेन व महारानी वामादेवी के यहां चोईसवे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के 250 वर्षों पूर्व हुआ | उन्होंने, बालक पार्श्व के नामकरण का मुख्य कारण बताते हुए बाल्यकाल से युवा अवस्था वैराग्य पर प्रकाश करते हुए बताया कि पौष कृष्ण एकादशी को तीस वर्ष की युवा वय में दीक्षित हुए | अनेक उपसर्गो व असुर मेघमाली व धरणेन्द्र देव की घटना व दीक्षित होने के 84 वें दिन केवलज्ञान होने के पश्चात देवताओं द्वारा समवशरण की रचना आदि चरित्रमय जीवन की प्रमुख घटनाओं का विस्तृत चित्रण धर्मसभा में रखा | उनके शासनकाल में चातुर्याम महाव्रतों में पांचवे महाव्रत का समावेश था व उपदेशों से प्रेरित होकर उनके माता व पिता संग अनेको ने भागवती दोक्षा ग्रहण की | भगवान पार्श्वनाथ के मुखारविन्द से दीक्षित साधु 16000, साध्वी 38000, गणधरों 10, केवली 1000, अवधि ज्ञानी 1400, मन:पर्यवज्ञानी 750, चौदह पूर्वधारी 350, वादी 600 श्रावक 164000, श्राविकाओं 327000 की संख्या व अनुयायियों की संख्या करोड़ों में रही व उनके शासनकाल में 1000 साधुओं व 2000 साध्वियों ने सिद्धि को प्राप्त किया का एवं सौ वर्ष की आयु में स्वयं पार्श्वनाथ सम्मेतशिखर पर्वत, बिहार में एक मास की अनशन तपस्या करते हुए सिद्ध,बुद्ध मुक्त हुए |

भगवान पार्श्वनाथ के मुख्य शिष्य रत्न केशी श्रमण व भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी के मध्य मधुरता भरे मिलन व चर्चाओं का वर्णन धर्मसभा में किया |

धर्मसभा में रुपराजजी सेठिया अम्बालालजी कर्णावट दीपकजी योगेशजी श्रीश्रीमाल लीलमचन्दजी बागमार महावीरजी कर्णावट उच्छबराजजी गांग आदि की उपस्थिति रही | वरिष्ठ श्रावक रत्न श्री सोहनलालजी झामड ने मांगलिक दी |

प्रेषक :- श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु 24/ 25- बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट, चेन्नई तमिलनाडु

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