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तीन करण मन, वचन और काया से बांधता है: पूज्य श्री दर्शन मुनि जी महारासा

तीन करण मन, वचन और काया से बांधता है: पूज्य श्री दर्शन मुनि जी महारासा

पूज्य श्री दर्शन मुनि जी महारासा का सौभाग्य प्रकाश संयम सवर्णोत्सव चातुर्मास खाचरोद में 

जीव कीतने प्रकार से कर्म बांधता है?

तीन योग से बांधता है और तीन योग से छोड़ता है। तीन करण मन, वचन और काया से बांधता है । *मन से कर्म ज्यादा बांधता है।* अशुभ योग में मन लगा हुआ है इस कारण वचन से कुछ भी बोल देता है और कर्म बांधता है । कर्म बांधना सरल है , भोगना कठिन है । *वचन* के पुद्गल मिले है ,इससे अच्छे वचन बोले, परमात्मा की आराधना करें। *काया* से भी कर्म बांधते है, काया को स्थिर नही रखते,इस कारण जीव की विराधना होती है , सारे काम देखकर यतना से करे तो जीव की विराधना नही होगी, मन से कर्म निकाचित होते है

*पूज्य प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी महारासा*- संसार के जीव भिन्न वृत्ति वाले लोग रहते है ,सबकी वृत्ति एक समान नही । *अढाई द्वीप में 196 अंक की गणना जितने मनुष्य रहते है* इनको चार विभाग में बाट दिया..

*1 खुद जलते है दुसरो को जलाते है* — क्रोधी खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है , खुद भी नष्ट होता है दुसरो को भी नष्ट करता है , स्वयं भी शांति से नही जीता ओर दुसरो को भी शांति से नही जीने देता है । (ज्वाला मुखी के समान)

*2खुद जलते है पर दुसरो को जलाते नही…*( ईर्ष्यालु लोग) आदमी बैठे बैठे जलता है कि पराये सुख में दुखी रहता है , तुम दूसरे से द्वेष करके अपने पूण्य खत्म कर रहे हो, *भावना दूषित* होने से अपने पूण्य नष्ट कर रहे है, दृष्टि धूमिल हो जाती है , गुणियों के भी अवगुण निकालते है, ।

🔰 *सूत्र – निकम्मा मत बेठ कुछ काम कर*

*3 जलता नही पर जलाता है*- फोकट में छू लगाने वाले, छू लगाने वाले सोचते नही के में किस के साथ चल रहा था *विघ्न संतोषी*

*4 -न जलते है न जलाते है*- वे *महापुरुष होते है*, स्वयं शांत भाव मे होते है और आने वाले को भी शांति देते है, शांत भाव से जियो।

🔰 मुनि को कैसे विचरण करना? शांति के बीज डालते हुए विचरण करे।

🔰शांति से जियो ओर शांति से जीने दो।

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