स्वंय के प्रयास के बिना परमात्मा के लाख कृपा के बावजूद बदलाब संभव नहीं: श्री सुयोगऋषीजी म सा
जब तक आप खुद स्वंय नहीं बदल सकते खुद के मन से अपने स्वभाव मे व्यवहार मे बदलाव नहीं लाते तब तक दुनिया की कोई भी ताकद आपको नहीं बदल नहीं सकती। परमात्मा प्रभु महावीर अपने शिष्य गौशालक अपने जवाई बेटी को नही बदल सके इसलिए अपने आप में बदलाव लाए। सडके प्रिय बन सको ऐसा व्यवहार आचरण अपना बनाओ।
ऐसा पावन संदेश नवकार साधक परम पूज्य श्री तारकऋषीजी म सा के सुशिष्य आगमज्ञाता परम पूज्य श्री सुयोगऋषीजी म सा ने आज आनंद गणेश दरबार में दिया।
पूज्यश्रीजी ने आगे आज के सामाजिक परिस्थिती पर सटिकता पुर्वक चिंतन करते हुए कहा की आजकल धर्म के पाठ पर बैढकर साधु संत संघ समाज मे दिवारे खडी कर रहे है । समाज में अशांति तनाव संप्रदायवाद बढा कर समाज को विघटित कर रहे हैं ! आग जलाने से अधिक पाप आग लगाने मे है इसलिए समाज मे संतो का काम है बाग लगाना आग लगाना साधु संत महंतो का काम नहीं है।
आजकल संप्रदाय वाद मे भक्तो को अपने पास खिंचते है। हमारे पास आवो हमारी गुरु धारणा करो तो मोक्ष मिलेगा। हमारे जैसी आराधना करे तो मोक्ष मिलेगा जैसै की मोक्ष का टिगीट देने की फ्रैयांयजी उन्होंने ले रखी है।
आजकल संघ समाज परिवार सब जगहों दुसरो को बदलाव चाहते हैं पर खुद में नही और जबतक आप खुद नहीं बदलते और यह याद रखो दुःख बाहर कही और से नहीं आता अपने आप की अपेक्षाओं से निर्मित होता है ऐसा पावन संदेश पूज्यनीश्री ने आज दिया।
पूज्यजीकी इस चिंतनशील विचारों तथा सटिक चिंतन पर विचारो को सुनने के लिए हररोज श्रावक श्राविकाओं की भीड़ बढ रही है
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*श्री वर्धमान श्वेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ औरंगाबाद*
✍🏼 प्रकाश कोचेटा
नवकार मिडीया