Share This Post

ज्ञान वाणी

तलवार की कीमत धार से, पर इंसान की कीमत सद्व्यवहार से – राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ

तलवार की कीमत धार से, पर इंसान की कीमत सद्व्यवहार से – राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ
मुंबई: राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि चेहरे को रंग देना कुदरत का काम है, पर जीवन को सही ढंग देना हमारा स्वयं का दायित्व है। पत्नी यदि साँवली हो, पर स्वभाव और व्यवहार से दिल को जीतने वाली हो तो स्वर्ग का सुकून उस साँवलेपन के सान्निध्य में भी मिल सकता है। बाकी गोरा तो चूना भी होता है, पर यदि वह दिल को चीरता है तो उस गोरेपन को कब तक झेला जा सकेगा।रंग साँवला, पर स्वभाव सुनहरा तो चलेगा, पर रंग गोरा और स्वभाव टेढ़ा तो नहीं चलेगा। आपका सरल और सुमधुर स्वभाव ही सुन्दरता की असली कसौटी है।
उन्होंने कहा कि तलवार की कीमत उसकी धार से होती है और इंसान की कीमत उसके व्यवहार से होती है। ध्यान रखिए – दुनिया में हमारा आना चाहे जैसा हो, पर जाना हमेशा शानदार होनी चाहिए। हमें औरों के साथ इतनी शिष्टता और सभ्यता से पेश आना चाहिए कि हमारा व्यवहार ही हमारी लोकप्रियता का राज बन जाए। उन्होंने कहा कि पीठ थपथपा कर तो हम गधों और कुत्तों से भी काम ले सकते हैं, फिर नौकर या कर्मचारियों से काम लेने के लिए उसी मिठास भरे मिजाज का उपयोग क्यों नहीं करते? अरे, शाबाशी की बात सुनकर हाथी तो क्या, चींटी भी चीन की दीवारें लाँघ जाया करती है।
संतश्री रविवार को राजश्री बंगलो नंबर 2, राजश्री टावर और डफोडिल्स होटल के पास, रॉयल कॉम्प्लेक्स, एक्सर रोड़, बोरीवली वेस्ट में भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी काम के लिए बड़ों को अपने पास बुलाने की बजाय हमें उनके पास जाना चाहिए। सास, पिता, गुरु या बड़े भैय्या जमीन पर बैठे हों तो हमें उनके सामने सोफे-कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए। कोई चीज हमें खानी-पीनी हो तो सामने बैठे लोगों से मनुहार करने के बाद ही हमें उपयोग करना चाहिए।
यह जीवन की पाठशाला का सबसे पहले सीखा जाने वाला पाठ है। उन्होंने कहा कि बोलते समय हमें शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए। हर बात सोचने की तो होती है, पर बोलने की नहीं होती। बुद्धिमान सोचकर बोलते हैं, पर बुद्धू बोलकर सोचते हैं। याद रखें, मिठास से बोलने वाले की तो मिर्ची भी बिक जाती है, पर कड़वा बोलने वालों की तो मिश्री भी पड़ी रह जाती है। अपनी जबान को आज ही सुधारिए और सबके साथ मिठास से पेश आइए।
उन्होंने कहा कि हमारा व्यवहार जीवन में बड़ा चमत्कार कर सकता है। एक बात तय है कि यदि आप पड़ौसी के घर एक पाव पकोड़ा भेजेंगे तो कल उसके यहाँ से आधा किलो पकवान लौटकर आएगा। कुदरत का नियम है कि अच्छाई के बदले अच्छाई लौटकर आती है। अपने व्यवहार को इतना ऊँचा बनाइए कि पड़ौसी का मकान बने तो पानी आप दीजिए। आपके ऊँचे व्यवहार का परिणाम यह होगा कि जरूरत पडने पर वह आपके लिए अपना पेट्रोल बहाने के लिए भी तैयार हो जाएगा।
इस अवसर पर सामूहिक मंत्र प्रार्थना की गई। कार्यक्रम में बैंगलोर के समाज सेवी अषोक नाहर का चातुर्मास समिति के किषोर डागा, महेन्द्र भूतड़ा, सागर जैन, देवांग हेमानी द्वारा अभिनंदन किया गया। प्रवचन में सैकड़ों की तादात में भाई-बहन उपस्थित थे। मंच संचालन षंकर घीया ने किया और आभार बदामी देवी घीया ने दिया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar