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ज्ञान वाणी

तरुणसागर के कड़वे वचनों से मिली जैन समाज को नई पहचान

तरुणसागर के कड़वे वचनों से मिली जैन समाज को नई पहचान
श्री सकल जैन समाज और श्री खण्डेलवाल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में बुधवार को शहर में विराजित सर्व जैन सम्प्रदायों के आचार्यों, उपाध्याय प्रवर, प्रवर्तक, उपप्रर्वतक और साध्वियों की निश्रा में साहुकारपेट स्थित श्री प्रवीणभाई मफतलाल मेहता गुजराती जैनवाड़ी में राष्ट्रसंत तरुणसागर के देवलोकगमन के उपलक्ष्य में गुणानुवाद सभा का आयोजन हुआ।

इससे पहले पुष्पदंतसागर की प्रेरणा से कोण्डितोप स्थित सुंदेशा मूथा जैन भवन से कलश रथयात्रा निकाली गई जो गुजराती जैनवाड़ी पहुंची। गुणानुवाद सभा में तरुणसागर के गुरु आचार्य पुष्पदंतसागर ने कहा दुनिया ने तो एक संत खोया है लेकिन मैंने तो अपना बेटा खो दिया। तरुणसागर दिल पर राज करना चाहते थे लोगों को जगाना चाहते थे यह उनका विचार था।

वे हमेशा इसी के लिए जीए। उनका अभाव कोई भी पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा उनकी यही प्रार्थना है कि तरुणसागर जैसा ही शिष्य सभी को मिले। उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा तरुणसागर शब्दों के सम्राट थे। अपने शब्दों के माध्यम से ही वे गुरु के चरणों तक पहुंचे थे। ऐसे में उनका दुनिया से जाना बहुत बड़ी क्षति है। वे यहां भी सागर थे और जहां गए हैं वहां भी सागर के रूप में ही रहेंगे।

सागरमुनि ने कहा संसार ने भले ही मुनि को खोया हो लेकिन हमने तो अपना गुरु खोया है। तरुणसागर का जैसा नाम था वैसा ही उनका काम भी था। मननमुनि ने कहा जिन लोगों में विशेषताएं होती हैं वही संत होते हैं। सामथ्र्यवान व्यक्ति को सभी पूजते हैं। इतने बड़े संत होने के बावजूद उन्होंने सब कुछ दूसरों के लिए समर्पित कर दिया।

मुनि पूर्णानंद ने कहा तरुणसागर की वाणी में जादू था। उनका जाना दिगंबर समाज ही नहीं बल्कि पूरे जैन समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उपप्रवर्तक विनयमुनि, तीर्थभद्र, सतीश सहित उपस्थित अन्य मुनियों ने भी अपने विचारों के माध्यम से उनको श्रद्धांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि सभा में साध्वीगण भी उपस्थित थी। इससे पहले सभा के संयोजक पन्नालाल सिंघवी ने कहा तरुणसागर ज्योति के समान थे। उन्होंने अपने प्रकाश से अंधकार को प्रकाशित किया। ऐसे में उनका जाना मानव समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा किसी के जाने से कोई काम नहीं रुकता लेकिन उनकी जगह भी कोई और नहीं भर सकता। आज वे हमारे बीच नहीं है लेकिन सबके दिल में हमेशा रहेंगे।

विमल चिप्पड़ ने कहा तरुणसागर का इस तरह से जाना बहुत बड़ी क्षति है। उनकी कमी कोई भी पूरी नहीं कर सकता। उन्होंने लाखों को अमृत का ज्ञान प्रदान किया। अपने कड़वे वचनों से उन्होंने दुनिया को नई दिशा दी। बसंत कामदार ने कहा तरुणसागर ने पूरे मानव समाज को ज्ञान देकर उत्थान किया है। सज्जनराज मेहता ने कहा तरुणसागर ने जैन समाज के नाम को ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

अभय कुमार श्रीश्रीमाल ने कहा क्रांतिकारी संत तो हमारे बीच नहीं रहे लेकिन लोगों के दिल में वे हमेशा रहेंगे। उन्होंने अपने कड़वे वचनों से जैन समाज को एक नई पहचान दी। महावीरचंद सिसोदिया ने कहा तरुणसागर के चरणों में हर समस्या का समाधान मिलता था, उनके जाने से एक युग की विचारधारा का अंत हो गया। इसके अलावा सुरेश गुलेच्छा, हंसराज मूथा, प्रवीण मेहता, और राजकुमार, सुनील काला ने भी विचार व्यक्त किए। सभा का संचालन विपिन सतावत ने किया।

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