चेन्नई. गुरु पद्म- अमर कुल भूषण उप प्रवर्तक पंकज मुनि एवं ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि की निश्रा में तपस्या की निरंतर झड़ी लगी हुई है। हालांकि पर्युषण पर्व धूम धाम से संपन्न चुके हैं फिर भी तपस्याओं की पंचखावनी के कार्यक्रम श्रीसुधर्मा दरबार, जैन भवन, साहुकारपेट में निरंतर गतिमान हैं। रुपेश मुनि ने बताया कि महापर्व संवत्सरी के दिन 10-12 अ_ाईयों के तथा क्षमापना पर्व के दिन भी 9 अ_ाईयों के पचखान हुए। इसी श्रृंखला में संस्कार मंच के उपाध्यक्ष महावीर ललवाणी एवं डॉ. शिवानी बाफना के भी 10 -11 के उपवास के गुरुदेव के श्रीमुख से पचखान हुए। प्रवचन दिवाकर डा.वरुण मुनि ने कहा कि तप जीवन का श्रृंगार है। तप वह अग्नि है जिसमें कर्म रूपी मैल जल जाती है और आत्मा रूपी सेना कुंदन बन जाता है। जैन परंपरा में उपवास यानि न अन्न न फल, न दूध, न चाय, न फ्रूट, न ड्राईफ्रूट, न मिठाई न चिकनाई केवल गर्म का ठंडा पानी लेना वह भी सूर्योदय के बाद एवं सूर्यास्त से पहले। कितने ही बुजुर्ग, युवा बच्चे बहुएं ऐसे 8 दिन 11 दिन के उपवास की आराधना कर रहे हैं। लोग कहते हैं युवा पीढ़ी धर्म से दूर जा रही है। पर हमें तो लगता है यह युवाओं की तप आराधना से धर्म का स्वर्णिम काल है।
श्री संघ के उपाध्यक्ष सुरेश चन्द कोठारी परिवार की ओर से तपस्वी भाई- बहनों का बहुमान शॉल- माला चांदी के सिक्कों से किया गया। इस अवसर पर जैन युवा कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष आनंद बागरेचा एवं मंत्री मनीष रांका गुरुदेव के आशीर्वाद लेने पहुंचे। पीपरी पूना, दौंड आदि स्थानों से पधारे गुरुभक्तों का उनकी स्वाध्याय सेवाओं हेतु श्री संघ की ओर से विशेष सम्मान किया गया।