कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 12 अगस्त शुक्रवार को प.पू. सुधा कवर जी मसा ने महाप्रभू महावीर की मंगलमयी वाणी का उद्बोधन करते हुये फरमाया! श्रृद्धा और भक्ति से परमात्मा की स्तुति होती है! भक्ति में समर्पण होता है! भक्ति व्यक्ति को मुक्ति में पहुंचा देती है, भव पार लगा देती है!
हमारे मन के तार परमात्मा से जुड़ने चाहिए, तभी हम भक्ति कर सकते हैं! भक्ति अंतर्मन से होनी चाहिए, अहो भाव से होनी! सिर्फ कुछ उपकरण लगाकर स्विच ऑन या स्विच ऑफ कर लेने से भक्ति नहीं हो जाती! भक्ति भक्तामर का कैसेट लगाने से नहीं होती बल्कि भक्ति भाव से भक्तामर का पाठ करने से होता है! उसी आस्था और भक्तिभाव से आज की सभा में श्रीमती सुशीलाबाई धर्मपत्नी महावीरचंद जी बाफना ने तंडियार पेट 32 उपवास के प्रत्याख्यान किये! मासखमण के अभिनंदन के अवसर में म सा ने फरमाया कि तपस्या से करोड़ों लोगों के संचित कर्म नष्ट हो जाते हैं। तप से आत्मा उज्जवल एवं निर्मल बनती है। तप आत्मा की ज्योति है।
सुयशा श्रीजी के मुखारविंद से:-क्रोध से बचना चाहिए! हमारा मन और एकाग्रता एक सीमा में रहनी चाहिए! परिवर्तन हमारे सुधार के लिए होने चाहिए! गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए! इंसानों से प्यार और वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए! हमारा एडिक्शन हमारी आदतें हैं जिससे हम हमेशा परेशान रहते हैं! हमें किसी पर भी टोका टोकी नही करनी चाहिए!
किसी में भी कोई भी अच्छी बात अच्छे गुण देखे तो उसका सम्मान उसी समय करना चाहिए! हमें हमारे जीवन में बहुत कुछ चाहिए और सब कुछ चाहिए! इसके लिए अच्छा पुरुषार्थ करना पड़ता है! हमारा संघर्ष, हमारी मेहनत से कमाई गयी दौलत को टिकाए रखने के लिए भी बहुत कुछ संभालना पड़ता है! सिर्फ सोचते ही रहने से वह “सोच” उस, बिना हस्ताक्षर के cheque के समान है जिस पर राशि तो करोड़ों में लिखी है लेकिन उस चेक का कोई महत्व नहीं रहता! आगे मसा ने फरमाया कि हमें टूटे हुए रिश्तो को जोड़ना चाहिए!
दूध में पानी मिलाते हैं तो दूध उस पानी को अपने आप में मिला लेता है पूरे समर्पण के साथ! वैसे से ही पानी भी दूध को अपना लेता है पूरे समर्पण के साथ! हमारे परिवार में भी हमारे संबंधों में ऐसा समर्पण और ऐसा ही विश्वास होना चाहिए, और वे जैसे हैं वैसे ही उन्हें अपना लेना चाहिए! कभी परिवार के कोई सदस्य में अच्छा बदलाव आ जाए तो हमें उस पर संशय नहीं करना चाहिए बल्कि पूरी तरह से उसका सम्मान करना चाहिए! आज की धर्म सभा में प.पू. श्री सुधाकंवरजी मसा के मुखारविंद से सुशीलाबाई बाफना, धर्मपत्नी महावीर चंद सा बाफना ने 32 उपवास के प्रत्याख्यान किये । इसी प्रकार मनीषा जी लूंकड ने 27 उपवास के प्रत्याख्यान किए।