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तप से आत्मा तपोमय होकर होती है मोक्ष की और अग्रसर : डॉ वसन्तविजयजी म.सा.

तप से आत्मा तपोमय होकर होती है मोक्ष की और अग्रसर : डॉ वसन्तविजयजी म.सा.
तपस्वियों ने तप करके ह्रींकारगिरी धाम को बनाया तपमय
इंदौर। कृष्णगिरी पीठाधिपति, विश्व शांतिदूत, राष्ट्रसंत डॉ वसन्तविजयजी म. सा. ने मंगलवार को कहा कि तप से आत्मा तपोमय होकर निश्चित रूप से मोक्ष की अग्रसर होती है। उन्होंने कहा कि जीवनपर्यंत हमने भोजन किया उससे शरीर पुष्ट होगा और तप करने से आत्मा पुष्ट होती है।
यहां श्री नगीन भाई कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में दिव्य भक्ति चातुर्मास कर रहे डॉ वसन्तविजयजी म. सा.ने कहा कि पर्युषण व संवत्सरी जैन धर्म का अद्भुत एवं महान पर्व है।
पर्व की आराधना, साधना, भक्ति को प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि इसे कुछ दिनों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिये। इस अवसर पर श्रावक श्राविकाओं ने उपवास, अठाई तपस्या करने वाले साधकों की जयकारों से अनुमोदना की।
इस अवसर पर डॉ वसन्तविजयजी म. सा. की निश्रा में ह्रींकारगिरी तीर्थ धाम पर रहकर अनेक तपस्वियों ने तप करके ह्रींकारगिरी धाम को तप मय बना दिया।
श्री नगीन भी कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी जय एवं विजय कोठारी ने बताया कि पर्युषण महापर्व के मौके पर तपस्वियों ने अनेक प्रकार की तपस्याएं पूर्ण की, जिनके पारणे भादवा सूदी पंचमी को बड़े आध्यत्मिक उल्लास के साथ विशाल रूप से सम्पन्न हुये। पारणे का लाभ रितेश कुमार, ऋषभ कुमार, सौरभ कुमार नाहर परिवार इंदौर ने लिया। सभी का आभार अंजू शिल्पा कोठारी ने जताया।

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