सावन तपस्या की बहार भाद्रव महीने में भी
नन्हे बालक खुश भण्डारी ने किया एकासन मासखमण
विल्लुपुरम में विराजित आचार्यश्री महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वी उज्जवलप्रभा के सान्निध्य में तप का ठाठ लगा हुआ है। यहां दो निराहार, एक एकासन का मासखमण हो चुके हैं और आज फिर एक एकासन के मासखमण का प्रत्याख्यान हुआ, वह भी एक नन्हे बालक 11 वर्षीय खुश भंडारी का।
साध्वी उज्जवलप्रभा ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया तप आत्म सौंदर्य में निखार लाता है। जिसमें तप की अंतरवृति जागृत हो जाती है, वह व्यक्ति तप के महायज्ञ में अपनी आहुति देता है। दीपक जलने से प्रकाश देता है, भले ही दीपक छोटा हो या बड़ा। वैसे ही तपस्या भी भले छोटी हो या बड़ी, आत्म प्रकाश और आत्मा सौंदर्य को बढ़ाने वाली होती है।
साध्वी अनुप्रेक्षाश्री ने कहा कि हमारा जीवन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मौलिकता से भरा पड़ा है। मौलिकता अपने आप बाहर नहीं आती, उसे प्रकट करना होता है। इसके लिए व्यक्ति-व्यक्ति को पुरुषार्थ एवं पराक्रम करना पड़ता है, जिससे मौलिकता प्रकट हो। जैसे दूध से दही और दही से घी बनता है।
साध्वी प्रबोधयशा ने एक कहानी के माध्यम से पूरी परिषद् को समझाते हुए कहा कि धर्म की कमाई असली कमाई है। बाकी सारी बातें झंझट, दुनियादारी में व्यक्ति समय को नहीं पहचानता। जो समय को पहचानता है, वही असली कमाई कर पाता है।
असाधारण साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा द्वारा प्रदत मंगल संदेश का वाचन सुभाष सुराणा ने, हैदराबाद में विराजित साध्वीश्री निर्वाणश्री के संदेश का वाचन श्रीमती मंजुला सुराणा ने तथा अभिनंदन पत्र का वाचन श्रीमती अंजली सुराणा ने किया। तेरापंथ सभा से जवरीलाल सुराणा, तेयुप से नरेश सुराणा, महिला मंडल, ज्ञानशाला से अनीता बडोला एवं मूर्तिपूजक संघ से राजेंद्र नाहर, परिवार से तपस्वी बालक खुश भंडारी की मम्मी स्नेहा भंडारी, पापा निखिल भंडारी, भुआ दीपिका बैद, भुआदादी विमला भंसाली ने बहुत सुंदर ढंग से अपने विचार एवं गीत प्रस्तुत किए।
महिला मंडल की बहनों ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। सुशील सुराणा ने मंगलाचरण, आभार ज्ञापन महेंद्र धोखा एवं कार्यक्रम का कुशल संचालन राखी सुराणा ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई