चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा परमात्मा के चरणों में पहुंचने पर मनुष्य का प्रत्येक कदम लाभ देने वाला होता है। तप वही कर सकते हैं जिनका मनोबल मजबूत होता है। जन्म लेने के साथ ही मानव जीव ने खाने की प्रवृत्ति शुरू की थी। ऐसे में कुछ समय तप के लिए भी निकालने की कोशिश करनी चाहिए। शरीर कब अंगूठा बता दे पता नहीं, इसलिए जब तक इन्द्रियां सही रूप में कार्य कर रही हों तभी धर्म के कार्य कर लेने चाहिए।
परमात्मा की ओर कदम बढ़ाने से जो अनुभूति होती है वैसी अनुभूति करोड़ा रुपए का लाभ होने पर भी नहीं होती। दिल में धर्म जागृत होने पर आत्मा अनंत कर्मो की निर्जरा करते हुए हल्की हो जाती है इसलिए धर्म के प्रत्येक प्रवृत्ति को श्रद्धा, निष्ठा और भावनाओं के साथ कर जीवन को आनंदित करने का प्रयास करें। मनुष्य कम उम्र में भी ऐसे धर्म को अपने जीवन में स्वीकार कर सकता है।
ज्यादा से ज्यादा धर्म कार्य करके अपनी भावनाओं का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा अहोभाव होने पर ही मनुष्य अपने जीवन में तपस्या कर पाता है अन्यथा सशक्त शरीर वाले भी तप अनुष्ठान करने से पीछे रह जाते हैं। सौभाग्यशाली ही जीवन को ऐसे उत्तम कार्यो में जोडऩे का प्रयास करते हैं। संजयमुनि ने भी उद्बोधन दिया। धर्मसभा में संघ अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। संचालन मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने किया।
आचार्य शिवमुनि की जन्म जयंती आज
संघ के कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि मंगलवार को आचार्य शिवमुनि की ७७वीं जन्म जयंती तीन-तीन सामायिक, तप और आराधना के साथ मनाई जाएगी। इस मौके पर अनेक स्थानों के गणमान्य लोग हिस्सा लेंगे।