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तप की अग्नि ही आत्मा को कुंदन बनाती है: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

तप की अग्नि ही आत्मा को कुंदन बनाती है: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

सेवाभावी श्राविकाओं का किया बहुमान, संवत्सरी महापर्व मंगलवार को

बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में चातुर्मासार्थ विराजित अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चंद्रिका व शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने सोमवार को जिनशासन में गणेश चतुर्थी दिवस की महत्ता पर तथा पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के सातवंे दिन तप के महत्व व संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए प्रवचन दिया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि धर्म, जिनशासन और प्रभु महावीर के प्रति आस्था में तप के महत्व एवं संस्कारों की खूब महत्ता है। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में गतिमान ऐतिहासिक एवं यशस्वी चातुर्मास के तहत इस वर्ष पहली बार श्रमण संघ में हो रही बड़ी संख्या मेें तपस्याओं की अनुमोदना करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि तप से जीवन निर्मल, उज्ज्वल, पवित्र बनता है।
तप की अग्नि में तपकर ही आत्मा कुंदन बनती है। प्रभु महावीर के 12 प्रकार के तपों का विस्तार से उल्लेख करते हुए डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि जैन संतों का त्याग व संयम जिनशासन के अनूठे त्याग हैं। उन्होंने बेंगलूरु की 151 उपवास की तपस्या करने वाली एक मात्र यशस्वी श्राविका स्व.श्रीमती धापूबाई का जिक्र करते हुए कहा कि इसी प्रकार इतिहास में अनेक महापुरुषों, साधु-साध्वियों व श्रावक-श्राविकाओं के नाम अंकित हैं, जिन्होंने तप की अग्नि में अपना सर्वस्व समर्पित किया है।
साध्वीश्री ने बच्चों को धर्मसंघों से जोड़ने की प्रेरणा देते हुए सामाजिक स्तर पर अनेक कड़वे अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि स्वयं में संस्कारों व संयमित जीवन के बीजारोपण के साथ ही बच्चों व भावी पीढी को संस्कारित किया जा सकता है। प्रसंगवश साध्वीश्री ने यह भी कहा कि हमारे धर्म, तप, त्याग व संस्कृति को बचाए रखना बहुत जरुरी है।
इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने भजन प्रस्तुत किए। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने अंतगढ़ व कल्पसूत्र का वाचन किया। उन्होंने अनेक उदाहरणों के साथ कहा कि सम्मानजनक वाणी संस्कारों से ही पोषित होती है। उन्होंने कहा कि घर-परिवार के वातावरण से ही बच्चे सीखते हैं। मर्यादारुपी छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हुए आचरण में लानी चाहिए।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने गीतिका प्रस्तुत की। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने संचालन किया। अनेक प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रद्धालुओं को साध्वीवृंद द्वारा पच्चखान कराए गए। सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि मंगलवार को साध्वीवृंद की निश्रा में महावीर धर्मशाला में संवत्सरी महापर्व मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ध्यान स्पर्धा प्रतियोगिता का आयोजन महिला समिति द्वारा किया गया।
रांका ने बताया कि महिला समिति की अध्यक्ष उषा मुथा, कार्याध्यक्ष प्रभा खाब्या, कोषाध्यक्ष सरला दुगड, रंजना गोलेच्छा़ व बबीता श्रीश्रीमाल ने नवकार अखण्ड जाप में विशिष्ट सेवाएं देने वाली श्राविकाओं का सम्मान किया। सभी का आभार समिति के कोषाध्यक्ष गुलाबचंद पगारिया ने जताया।

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