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तपोयोगी श्रमण की साधना स्वयं ही चमत्कार है: डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज

तपोयोगी श्रमण की साधना स्वयं ही चमत्कार है: डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज

बेंगलुरु। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी बावीस संप्रदाय जैन संघ ट्रस्ट, गणेश बाग श्री संघ के तत्वावधान में एवं शासन गौरव महासाध्वी पूज्या डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज, पूज्या श्री पुनितज्योति जी महाराज, पूज्या श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज के पावन सानिध्य में कर्नाटक गज केसरी, घोर तपस्वी पूज्य श्री गणेशलालजी म.सा. की 142 वीं जन्म जयंती सामायिक दिवस के रूप में श्री गुरु गणेश जैन स्थानक, गणेश बाग, बेंगलुरु में दिनांक 10 नवंबर 2021 को मनाया गया।



महासाध्वी डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज ने कर्नाटक गज केसरी पूज्य श्री गणेशलालजी म.सा. की 142 वीं जन्म जयंती के अवसर पर गुणानुवाद करते हुए फ़रमाया कि तपोयोगी श्रमण की साधना स्वयं ही चमत्कार है, उसकी निस्पृहता, कठोर-तितिक्षा, परिषह जेयता और सुख दुःख में स्थितप्रज्ञता संसार के लिए एक अजूबा है, आश्चर्य है। परन्तु यही तो साधक की कसौटी है। गुरुदेव सिद्ध श्रमण तपस्वीराज श्री गणेशलालजी महाराज उच्च कोटि के संत थे, कठोर संयमी थे, परन्तु अत्यंत दयालु और करुणाशील भी थे। उनके जीवन में सरलता, स्पष्टता और संयम की कठोरता साकार थी। जो भक्त भक्तिपूर्वक उनके चरणों में आया, उसने बिना मांगे ही सब कुछ पाया। सद्गुरुनाथ श्री गणेशलालजी महाराज महान तपोयोगी थे, स्वाध्याय ध्यान, वाणी संयम, इंद्र संयम उनके जीवन के कण कण से स्पष्ट होता था। वे बाहर से भले ही कठोर प्रतीत होते, पर उनकी कटोरता माता कि थप्पड़ के सम्मान थी जिसमे सदा ही कल्याण भावना का पुट रहता है। तपोयोगी इसलिए कि तप उनकी साधना थी। आपश्री ने फ़रमाया कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है। अहिंसा संयम और तप यही धर्म है। जिसका मन सद्धर्म में रहता है उसे देवता भी नमस्कार करते है। ऐसे ही थे गुरु गणेशलालजी महाराज। साध्वीजी ने तपस्वी संत श्री गणेशलालजी महाराज के जीवन एवं उनके द्वारा अनेक चातुर्मास में धर्म प्रभावना पर भी संस्मरण सुनाये।

साध्वी पूज्या श्री जिनाज्ञाश्री जी महाराज ने अपने उद्बोधन में गुरु गणेशलालजी महाराज पूज्य गुरुवर ने नगर नगर देश बर में गौ रक्षा की प्रेरणा दी, उन्हें गौ संवर्धन का महत्व बताया। इसमें अहिंसा भावना तो मुख्य थी ही, साथ ही सामाजिक कल्याण की भी दृष्टी थी। आपकी प्रेरणा से कई गोशालाएं प्रारंभ हुई जो आज भी सुन्दर ढंग से संचालित है।

जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुनील सांखला जैन ने अपने उद्बोधन में बोले कि आज दक्षिण भारत में स्थानकवासी समाज श्री गणेशलालजी महाराज के प्रति सदैव आभारी रहेगा जिन्होंने धर्म के मार्ग पर सभी को लाया। सदधर्म के प्रचार प्रसार, लोगो को व्यसन मुक्त एवं पापमुक्त जीवन बिताने कि प्रेरणा देने, अज्ञान अन्धकार नष्ट करके ज्ञान का प्रकाश प्रसारित करने, सम्यक्त्व कि ज्योति जगाने के सम्बन्ध में उन्होंने महत्व भूमिका रही है। आज दक्षिण भारत में स्थानकवासी समाज उनके प्रति सदैव आभारी रहेगा जिन्होंने धर्म के मार्ग पर सभी को लाया। सद्धर्म के प्रचार प्रसार, लोगो को व्यसनमुक्त एवं पाप मुक्त जीवन बिताने कि प्रेरणा देने, अज्ञान अन्धकार नष्ट करके ज्ञान का प्रकाश प्रसारित करने, सम्यक्त्व कि ज्योति जगाने के सम्बन्ध में उन्होंने महत्व भूमिका रही है। सांखला ने पूज्या साध्वी श्री पुनितज्योति जी महाराज के आज 9 की तपस्या के अवसर पर सुख साता प्रूच्छा।

गणेश बाग श्री संघ के अध्यक्ष लालचंद मांडोत ने श्री संघ के और से कर्नाटक गज केसरी सद्गुरुनाथ के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुए कहा कि उन्हीं कि सत्प्रेरणा से गणेश बाग आज पुरे भारत में आध्यात्मिक सामाजिक कार्यों के लिए तीर्थ बन चुका है। इस अवसर पर संघ मंत्री सम्पतराज मांडोत एवं श्रीमती मंजू मांडोत ने भी अपने विचार रखे। गणेश बाग श्री संघ की और से संघ अध्यक्ष लालचंद मांडोत ने जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत होने पर सुनील सांखला जैन का अभिनन्दन करते हुए बधाई प्रेषित किये। श्री संघ की और से प्रतिक्रमण कंठस्त करने वाले बालक बालिकाएं का भी अभिनंदन किया। इस अवसर पर अनेक संघ के पदाधिकारीगण, अक्खिपेट महिला मंडल, ईटा गार्डन महिला मंडल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। धर्मसभा का संचालन सुनील सांखला जैन ने किया एवं आभार ज्ञापन श्री संघ के मंत्री सम्पतराज मांडोत ने दिया। डॉ. श्री रुचिकाश्री जी महाराज ने मंगलपाठ फ़रमाया ।

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