सौभाग्य प्रकाश संयम सवर्णोत्सव चातुर्मास खाचरोद
गुरुदेव श्री सोभग्यमल जी महारासा के लिये फरमाते है कि…
*प्रखर पुण्य संयुक्तम्, महाव्रती जितेन्द्रियम् । प्रियवक्ता स्वभावेन, श्री सौभाग्य गुरुवे नमः ॥१॥*
पुज्य पर्वतक श्री प्रकाश मुनि जी मा.सा. – ने फरमाया कि..
प्रखर पुण्य के धनी थे-वह पुण्य तेज होता है पुण्य – जो 8 *ज्ञानी, ऐश्वर्य, धनवान, जाति, बल, तेजस्वीता, बुद्धि, ख्याति* इनसे जो पूर्ण है बातों से पूर्ण हो वह प्रखर पुण्य –
बल- *मुट्ठी से पापड़ तोडु पटके तोड़ू सुत,*
*पटीये से नीचे कूद पडु तो जावण जाओ पुत।।*
ऐसे हम बलशाली है। बल हे कहाँ,
खाने का शोक पुरा करलो ताकत हे कहाँ,
जो तुमको करना हो वो कर के रहते हो। परमात्मा कहते- किस बल प्राण का उपयोग नहीं करते तो वह वापस मिलना मुश्किल है, आँखो से सज्जनों को नही देखा, गुणो को नहीं देखा, दुर्गंध से घृणा करते रहे रहे तो नाक मिलना मुश्किल ,,जिबान का सदुपयोग, खाने व बोलने पर नियंत्रण नहीं किया। स्पर्श का दुरुपयोग, मेहंदी, टेटू लिपिस्टीक लगा रहे। इसको बिगाड़ने में क्यों लगे हो!! मन, वचन, काया बल, स्वासोश्वास का सदुपयोग नहीं किया तो कम मिलेगा आयुष्य का उपयोग सही नहीं किया – *एकेन्द्रिय में एक अन्तरमहूर्त में 12,824 बार जन्म मरण पूरे हो जाते है* जैसा जीवन जिओगे ऐसी पुण्याई मिल रही है, काया बल का उपयोग कर रहे है। *बियासने* में सब कुछ है बैठक पर खाना है कंट्रोल हुआ, *बियासना* महत्व रखता है *करोगे तो अनुभव होगा।* तपस्वी काया बल का सदुपयोग करता है ।
तपस्या शरीर साथ दे तब तक करनि है। *बल से सम्पन्न यह पुण्याई की निशानी है*
*तेजस्वीता से पूर्ण* – धन संपन्न न होने पर शरीर का तेज इतना होता है कि प्रभाव होता है,कपाल से प्रभाव पड़ता है। कपाल भविष्य बताता है। चाल भी आपके चरित्र को बता देती है। वंदन करने पर चेहरे से देख लेते है उसके भाल से पूरा इतिहास लिख सकते है। मुख दर्शन से भविष्य देख लेते है,आँखो, की स्थीति, नाक की स्थिति, गर्दन, आंख आपका जीवन बता सकते है *चाल व चेहरे से भविष्य समझ लेता हुँ! गुरुदेव कहते थे। कान, ललाट भविष्य बताते है तेजस्विता से पुण्य का तेज प्रकट होता है तेजस्विता मिलना पुण्य की निशानी बडा कान नाक मिलना सुआ जैसी नाक (तोते) यह तजस्वीता है ।
1.कसी का चेहरा देखकर आकर्षित हो जाते है। तुम चेहरा बताने जाओगे तो पैसा लगेगा, और वे (एक्टर)चेहरा बतायेंगे तो पैसे लेंगे।
जो नहीं हो वो बता दे वह कलाकार। चेहरे पर चमक अलग होती है तिर्थकर के चेहरे पर चमक थी, दृष्टि, वचन में तेजस्वीता यह पुण्ययाई का छटा रूप है ।
7) *मतिमान* – बुद्धि की तेजस्वीजा, *जहाँ न पहुँचे, वहाँ पहुँचे कवि ,जहाँ न पहुँचे कवि वहाँ पहुँचे अनुभवी, जहाँ न पहुंचे अनुभवी वहाँ पहुचे बुद्धि का धनी* बीरबल की कहानी, अग्नि कुमार की कहानी थी। उत्याद बुद्धि जैसे बिना आग के आपको खीर बनानी? अकेले मुर्गे को लड़ाना? – बकरे की खीलाओ-पिलाओ पर वजन बढ़ना नहीं चाहिए?
*उत्पाद बुद्धि* ऐसी बुद्धि का धनी पुण्याई से मिलती है। *ज्ञान पुरुषार्थ से मिलता है बुद्धि पूण्य से मिलती है।*
*ख्याति*- प्रसिद्धि पुण्य के बिना नहीं मिलती। यश नाम कर्म का उदय है तो यश मिलता हे ,अपयश नाम का उदय हो तो अपयश मिलता है दोनो नहीं हो तो कई आये और चले गये ।
लडने वाला सैनिक होता है, पर यश सेनापति का होता है। यश देने का काम करता है ,वह यश पाता है। यश दोगे तो यश मिलेगा। इच्छा करता है वह यश पाने के लिये ! झूठ बोलने के दो स्थान हे धर्मस्थान, शमशान। यद्यपि यह दोनों जगह सच बोलने का स्थान है।
*मरने वालो को क्या तुमने देखा नही* ,
*कभी किसी का जनाजा उठाया नही* ,
*क्या तुम्हे इसी तरह जाना,*
*मेहरबा जरा गौर इसपे कीजिये….।।*
शमशान जीते जी कोई जाता नहीं मरने के बाद कोई आता नहीं। तुम.. मरने वाले को छोड़ने वाला नहीं। यश दोगे तो मिलता है यश से पूर्ण होता है वह पुण्य का धनी होता है। पुण्यवान या तुच्छ हो मुनि भेद नहीं करे। मुनि अभेद दृष्टि से उपदेश करे।