गुरुवार को होगा पैसठिया यंत्र का विशेष अनुष्ठान
माधावरम्, चेन्नई 26.07.2022 ; हमें आध्यात्मिक और सहज आनन्द की अनुभूति जगाने की कला सीखनी चाहिये। इसके बिना धार्मिक साधना और तपस्या भार बन जाती है। आनन्द ही जीवन है, यह आध्यात्मिक जीवन दर्शन कर प्रमुख सूत्र है। उपरोक्त विचार मुनि सुधाकरजी ने तपोभिनन्दन समारोह में जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में कहें। मुनिश्री ने आगे कहा कि हमें सांस भीतर – आनन्द भीतर, साँस बाहर – तनाव बाहर का जागरूकता से अभ्यास करना चाहिये। जो व्यक्ति सहज प्रसन्न और संतुष्ट होता है, वह क्रोध, इर्ष्या, आवेश आदि नकारात्मक विचारों और प्रवृत्तियों से स्वतः दूर हो जाता है। आज के पारिवारिक जीवन में परस्पर तनाव और टकराव बहुत अधिक दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही ईर्ष्या की मनोवृति का भी बहुत विस्तार हो रहा है। जिसके जीवन में सहज आनन्द का जागरण हो जाता है, वह इस प्रकार की अशुद्ध प्रवृत्तियों से अपने आप दूर हो जाता है तथा सबके प्रति मैत्री, समता और करुणा की वर्षा करता हैं।
मुनि श्री ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि तपस्या जहां कर्म निर्जरा का साधन है, वहीं आध्यात्मिक आनन्द का स्त्रोत भी है। बहिन श्रीमती शांतिबाई बोहरा ने पन्द्रह की तपस्या कर कुल पर कलश चढ़ाया है, उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना। मीडिया प्रभारी स्वरूप चन्द दाँती ने बताया कि मुनिश्री के सान्निध्य में कल गुरुवार को गुरु पुष्यनक्षत्र एवं अमृत सिद्धि योग के पुनीत अवसर पर पैसठिया यंत्र का विशेष अनुष्ठान प्रातःकाल 9 बजे से प्रवचन के समय कराया जाएगा। तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसुलाल बोहरा, जैन तेरापंथ नगर के अध्यक्ष अशोक बोकडिया एवं महिला मंडल ने तपस्या की अनुमोदना में विचार व गीत की प्रस्तुति दी। तपस्विनी बहन शांतिबाई बोहरा को ट्रस्ट मण्डल की ओर से सम्मानपत्र रमेश बोहरा, मुलचंद रांका ने प्रदान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सुरेश रांका ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम्
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई