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तपस्या कर्म निर्जरा का अमोघ साधन है : साध्वी अणिमाश्री

तपस्या कर्म निर्जरा का अमोघ साधन है : साध्वी अणिमाश्री

मासखमण तप अनुमोदना

साध्वी अणिमाश्री के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में श्री सोहनलाल रायसोनी के मासखमण तपस्या पर तप अनुमोदना का कार्यक्रम तेरापंथ भवन में समायोजित हुआ।
  

साध्वी अणिमाश्री ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा जैन धर्म में तपस्या का महत्वपूर्ण स्थान है। तप के प्रभाव से मनुष्य अचिन्त्य शक्तियों और लब्धियों को प्राप्त कर लेता है। भगवान महावीर ने इसे कर्म निर्जरा का श्रेष्ठ साधन बताया है। स्वयं भगवान महावीर ने लम्बे समय तक तपस्या के द्वारा स्वयं को साधा और आध्यात्म की अतुल गहराई में छिपी आनंद की मुक्ताओं को प्राप्त किया।

जैन धर्मावलम्बियों ने तपस्या के क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। तपस्या के द्वारा जहां कर्मों की महान निर्जरा होती है, वहीं अनेक व्याधियों से भी छुटकारा मिल जाता है। हमारे भीतर जमे हुए विजातीय तत्व को तपस्या के द्वारा आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।
  

भाई सोहनलाल रायसोनी ने मासखमण कर नए इतिहास का सृजन किया है। सुदृढ़ मनोबल वाला व्यक्ति ही तपस्या के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। तपस्या में शरीरबल से ज्यादा मनोबल एवं संकल्पबल काम करता है। परिवार के सहयोग एवं गुरुकृपा से आज इनका संकल्प फलवान बना है। तप के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहे, मंगलकामना।

साध्वी कर्णिकाश्री, साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी समत्वयशा व साध्वी मैत्रीप्रभा ने तप अनुमोदना गीत का संगान किया। महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। श्रीमती सुनिता रामसोनी ने विचार व्यक्त किए। रामसोनी परिवार की बहुओं, पोतियों ने गीत प्रस्तुत किया। पोतों ने लघुनाटिका के द्वारा तप की अनुमोदना की।

मंच संचालन करते हुए सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड़ ने साध्वी प्रमुखाश्री के संदेश का वाचन किया। तेयुप द्वारा आयोजित भिक्षु स्मृति साधना की जानकारी दी।
           

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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