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तपस्या आत्मोत्थान का महत्वपूर्ण साधन है: साध्वी डॉ गवेषणाश्री

तपस्या आत्मोत्थान का महत्वपूर्ण साधन है: साध्वी डॉ गवेषणाश्री

मासखमण तप अनुमोदनार्थ कार्यक्रम

Sagevaani.com @तिरूपुर: युवामनीषी महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ साध्वी गवेषणाश्री के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, तिरूपुर में श्रीमती सरिता श्यामसुखा के मासखमण तप का अभिनंदन समारोह मनाया गया।

कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्रीजी द्वारा नमस्कार महामंत्र से किया गया। मंगलाचरण महिला मंडल द्वारा किया गया। तेरापंथ सभाध्यक्ष श्री अनिल आंचलिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया।

साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने फरमाया कि आटे का धोवन पीने वाला दूध को नहीं नहीं समझता, चीड का आभूषण पहनने वाला मोती का महत्व नहीं जानता, वैसे ही जो प्रतिदिन खाने वाला है वह तप का महत्व नहीं समझ सकता। इस दुर्लभ, दुष्कर तप का स्वाद वही ले सकता है, जिसने अपनी जिव्हा पर नियंत्रण किया है। इस प्रतियोगिता के युग में तपस्या का अनुसरण विरला ही कर सकता है। तपस्या आत्मोत्थान का महत्वपूर्ण साधन है। श्रीमती सरिता श्यामसुखा ने मासखमण की तपस्या कर एक नया इतिहास अपने परिवार में रचा है।

साध्वीश्री मयंकप्रभा ने कहा स्नान से देह की शुद्धि, दान से धन की शुद्धि, ध्यान से मन की शुद्धि और तप से आत्मा की शुद्धि होती है। साध्वीश्री दक्षप्रभा ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।

 अनुमोदनार्थ स्वर –

तप अनुमोदना में महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती नीता सिंघवी, तेयुप अध्यक्ष श्री सोनू डागा, महासभा कार्यकारिणी सदस्य श्री प्रकाश दुगड़, श्री शांतिलाल झाबक, श्री दिलीप श्यामसुखा एवं श्री ऋषभ आंचलिया ने विचारों, गीतों के द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी। श्री विनोद बांठिया ने साध्वी प्रमुखाश्रीजी के एवं श्री विमल श्यामसुखा ने साध्वी निर्मलयशा के संदेश का वाचन किया। पारिवारिक जनों ने गीत के द्वारा तपस्विनी बहन को बधाई प्रेषित की।

कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री मेरुप्रभा ने किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री श्री मनोज भंसाली ने किया।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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