Sagevaani.com /चेन्नई | भगवान महावीर फाउंडेशन के संस्थापक सुगालचंदजी जैन ने कहा कि आत्म साधना के साथ परोपकार और सेवा भी आवश्यक है। गुरुवार को किलपॉक में हिंदी मासिक पत्रिका ‘जिनवाणी’ के संपादक डॉ. धर्मचंद जैन (जयपुर) के सम्मान में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा कि शिक्षा का उजाला फैलाकर समाज का उत्थान किया जा सकता है |
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल के पूर्व अध्यक्ष समाजसेवी कैलाशमलजी दुगड़ ने कहा कि डॉ. धर्मचंदजी जैन सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल से प्रकाशित होने वाली जिनवाणी का विगत तीन दशक से उच्च मानक व श्रेष्ठ स्तर के साथ संपादन कर रहे हैं | उन्होंने कहा, यह हर्ष व गर्व की बात है कि डा. दिलीपजी धींग दक्षिण भारत में ज्ञान की उपासना कर रहे हैं | उन्होंने समाज की विसंगतियों पर निडरता से लिखने की प्रेरणा दी |
कवि डा. दिलीपजी धींग ने कहा कि विद्वानों को अकादमिक दृष्टि से निष्पक्ष रहना चाहिये |
श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर. नरेंद्र कांकरिया ने डा धर्मचंदजी जैन के जिनशासन मे योगदान एवं जीवन मे व्रत-नियमों के प्रति दृढ़ता व देव-गुरु के प्रति समर्पण भाव के संस्मरणों उल्लेख करते हुए करीब तीस वर्षों पूर्व मद्रास यूनिवर्सिटी के जैनोलॉजी विभाग मे उनके द्वारा अंग्रेजी मे दिये गए उदबोधन का जिक्र किया | कवि डा.दिलीपजी धींग का शोधकर्ता के रुप मे जिनशासन मे अभिनन्दनीय, अनुकरणीय योगदान हैं | इस अवसर श्री जैन रत्न युवक परिषद तमिलनाडु के शाखा प्रमुख संदीप ओस्तवाल उपस्थित थे |
फाउंडेशन के न्यासी विनोदजी जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया | इससे पूर्व डा. धर्मचन्दजी जैन ने नॉर्थ टाउन,जैन स्थानक में विराजित युवाचार्य महेन्द्रऋषिजी के दर्शन कियl