आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री रमेश कुमार जी के सान्निध्य में आज सामूहिक एकासन अनुष्ठान का आयोजन हुआ। जिसमें 250 से अधिक भाई बहनों ने एकासन किया ।
एकासन तप का महत्व बताते हुए मुनि रमेश कुमार जी ने कहा- भारत में प्राय: सभी धर्मों में एकासन करने की परम्परा है । जैन धर्म का एकासन सबसे श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि एक आसन में बैठकर , मौन पूर्वक भोजन करना । भोजन को अस्वाद वृत्ति से करना , ऊनोदरी पूर्वक खाना , झूठा नहीं छोड़ना इन सबको ध्यान में रखकर एकासन करना चाहिए ।
इससे पूर्व मुनि रमेश कुमार जी ने एकासन अनुष्ठान में अनेक प्रभावशाली जैन मंत्रों का सधोष उच्चारण कराया । अनुष्ठान में नमस्कार महामन्त्र, मंगल भावना , मंगल संकल्प, चंदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा ।
सागरवरगंभीरा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु।। , सर्व विघ्ननिवारक मंत्र, रिद्धि-सिद्धि वर्धक मंत्र, सुख-शान्तिवर्द्धक मंत्र, आवेश मुक्ति मंत्र, घंटाकर्ण महावीर, उपसर्गहर स्तोत्र, आदि अनेक मंत्रों के प्रयोग करायें ।
एकासन अनुष्ठान में मुनि सुबोध कुमार जी की प्रेरणा श्रम बहुत रहा ।
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रप्लीकेन चैन्नई के अध्यक्ष गौतम चन्द जी सेठिया आदि सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का भी विशेष सहयोग रहा ।
संप्रसारक
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी ट्रस्ट ट्रप्लीकेन चैन्नई