कोयम्बत्तूर आर एस पुरम स्थित आराधना भवन में चातुर्मासिक प्रवचन की कड़ी में विमलशिष्य वीरेन्द्र मुनि ने जैन दिवाकर दरबार में धर्म सभा को संबोधित करते हुवे कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने सुबाहु कुमार आदि को 12 व्रतों का वर्णन करते हुवे भगवान महावीर स्वामी फरमा रहे थे कि लड़के लड़की की उम्र वय गुण अवगुण के विषय में असत्य नहीं बोलना चाहिये।
गाय बैल घोड़ा हाथी आदि पशुओं के गुण अवगुण के विषय में झूठ नहीं बोलना चाहिये। खेत मकान आदि जमीन के विषय मैं झूठ का उच्चारण नहीं करना चाहिये।
किसी की पूंजी धरोहर वगैरा के विषय में झूठ बोलना और न वही खाते में असत्य लिखना और न कभी भी झूठी गवाई देना जिससे देश में अशांति हो या जाति धर्म पर कलंक का टीका लगे परंतु हम चारों ओर नजर लगा के देखेंगे तो झूठ ही झूठ का राज नजर आयेगा।
जहां पर पानी बताते हैं वहां पर कीचड़ भी नहीं मिलता है ऐसा सफेद झूठ का बोल वाला दिखाई देता है।
झूठ बोलने वाले को अगले जन्म में जबान भी नहीं मिलेगी इसलिये मूका नहीं बनना है तो असत्य का उच्चारण करने के पहले सोचलें 100 बार फिर बोले झूठे आदमी का कोई विश्वास भी नहीं करता और न मान सम्मान मिलता और न प्रतिष्ठा रहती अतः मृषावाद का त्याग करो।