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ज्योतिष विद्या के प्रकाण्ड पंडित थे पूज्य श्री कांतिमुनिजी म.सा.

ज्योतिष विद्या के प्रकाण्ड पंडित थे पूज्य श्री कांतिमुनिजी म.सा.

मुनिश्री के देवलोकगमन पर टी.नगर स्थानक में हुई श्रद्धाजंलि सभा

टी.नगर (चेन्नई): श्रमण संघीय दिवाकर सम्प्रदाय के दीर्घ संयमी 75 वर्ष के संत पूज्य श्री कांतिमुनिजी महाराज का दिनांक 02 अक्टूबर गुरूवार को गुरू गणेश गोशाला में संलेखना संथारा सहित देवलोकगमन हो गया। रविवार दिनाँक 5 अक्टूबर को टी.नगर स्थानक में सवेरे सामुहिक प्रार्थना के साथ गुणानुवाद सभा का आयोजन रखा गया।

     संघ अध्यक्ष डॉ.उत्तमचन्द गोठी ने मुनिश्री के श्री एस एस जैन संघ माम्बलम-टी.नगर के तत्वावधान में वर्ष 2003 के तमिलनाडु-चेन्नई में प्रथम ऐतिहासिक चातुर्मास से लगा कर मुनिश्री के 54 वर्षीय संयम जीवन का विस्तार पूर्वक वर्णन सभा के सामने रखा एवं मुनिश्री के कई संस्मरण बताए। डॉ गोठी ने बताया कि मुनिश्री जैन आगम एवं ज्योतिष विद्या के प्रकाण्ड पंडित थे।

पिछले 23 वर्षों से दक्षिण भारत मे ही विचरण कर जिनशासन व जैन धर्म की महती प्रभावना कर रहे थे। चेन्नई व बंगलुरू में उन्होंने अनेक चातुर्मास किये। पूज्य श्री कांतिमुनि ने अपने अंतिम 5 वर्ष श्री किशनलाल अभयकुमार खाबिया द्वारा संचालित गुरू गणेश गोशाला में ही व्यतीत किये। अशाता वेदनीय कर्मो के उदय से पिछले 50 दिनों से असाध्य बीमारी से झुँज रहे थे। 2 अक्टूबर,गुरुवार, विजय दसमी को प्रातः 2.37 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। यह एक संयोग ही है कि पूज्य श्री कांतिमुनि के दीक्षा गुरू उपाध्याय, ज्योतिषाचार्य कस्तूरचंदजी म सा का देवलोकगमन भी विजयदशमी को ही हुवा।कांतिमुनि एक प्रखर व स्पष्ट वक्ता थे। उनकी आत्मा की शान्ति के लिए नवकार मंत्र व लोगस्स का कार्योसर्ग किया गया।

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