स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई
विश्व हितेषी प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न, राष्ट्रसंत, यूग प्रभावक श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश
🪔 *विषय : साधर्मिक भक्ति की सौंदर्यता*🪔
~ जीवन में सर्वश्रेष्ठ मंगल सत्य है और सत्य एक ही है केवलि भगवंत द्वारा कहा हुआ धर्म और उनके अमूल्य वचन ही है।
~ जो ज्ञान सत्य है, शुद्ध है, स्पष्ट है वह ज्ञान ही सर्व दुख कर्म से मुक्ति देता है।
~ जीवन में ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ धर्म है जो मानव के पास यह धर्म है उसे कुदरत के पूर्ण आशीर्वाद, सहाय मिलती है।
~ हमारे धन से हमारे दुखी,निर्धन साधर्मिक भाइयों की ऐसी भक्ति करें कि वह कभी भी दुखी रहे ही नहीं ।
~ आबू संघवी जी ने 350 भाइयों को स्वयं जैसे करोड़पति बने थे ।
~ परम पूज्य विरल विभूति प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीशवारजी महाराज आने स्वयं के जीवन में जो मृत्यु का दुख देने आए ऐसे मानव को भी माफ कर दिया था क्षमाधर्म की पराकाष्ठा को उन्होंने पाया था।
परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ भक्ति उनके वचनों का पूर्ण रूप से पालन ही है।
~ पापों की आसक्ति रुचि का नाश हो वह है परियुषणा महापर्व।
~ क्षमा देने में और क्षमा मांगने से ही हमारा जीवन धन्य होता है और प्रभु कृपा पाने के योग्य बनता है।
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪