🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰
*ता :08/8/2023 मंगलवार*
🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*
🪷 *विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, संघ एकता शिल्पी, प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश
🪔 *विषय अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔
~ शरीर से कि हुई साधना से दुर्गति में जाना नहीं होगा यह निश्चित नहीं है किंतु ज्ञान से की हुई साधना से दुर्गति नहीं ही होगी और सद्गति ही होगी।
~ हमारे देह के वियोग के साथ कर्म, अज्ञान, पाप, दोष, गलतियों का वियोग (नाश) होता है या नहीं?
~ हमारा धर्म ऐसा प्रकृष्ट बलवान होना ही चाहिए कि देह की मृत्यु के होने के बाद भी धर्म अखंड ही रहे।
~ जब तक हमारा ध्यान हर पल शरीर का ही होगा तब तक सत्य धर्म को पाना अति कठिन है।
~ हमारे ह्रदय में प्रभु का और प्रभु की पवित्रता का जन्म होगा तो ही हमारा जीवन सफल साबित होगा।
~ प्रभु महावीर स्वामी ने 12 1/2 साल की साधना काल में केवल 349 परने किये और ज्यादा से ज्यादा दिन उपवास तप किया, क्योंकि तपश्चार्य से ही सभी कर्मों का शीघ्र क्षय होता है।
~ प. पू. प्रभु राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज को 64 साल की बड़ी उम्र में में भी 14 1/2 साल की ज्ञान साधना करने का अतुल बल केवल तपस्या की सामर्थ्यता से ही प्रकट हुआ था।
~ हमारे जीवन में मूलभूत परिवर्तन हो वो ही मानवता की पराकाष्ठा है ।
~ जब आत्मा दर्शन स्पष्ट हो जाए तब स्वजन का, शरीर का, कर्म का, अज्ञान का बल कुछ भी नहीं असर करता है।
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪