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ज्ञान सहित क्रिया से ही कल्याण होगा: विरागमुनि जी

ज्ञान सहित क्रिया से ही कल्याण होगा: विरागमुनि जी

बाड़मेर। शहर के श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ आराधना भवन में चातुर्मासिक आराधना के अंतर्गत परम पूज्य गणाधीश पन्यास प्रवर विनयकुशल मुनिजी म.सा. की निश्रा हर दिन सुबह प्रवचन, जप-तप का कार्यक्रम धूमधाम से चल रहा है।
 

प्रखर प्रवचनकार विरागमुनिजी महाराज ने आराधना भवन में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म के अन्दर अप्रशस्त माया दंभ कहलाती है। हम बाह्य तौर पर धर्म की क्रियाएं करते है लेकिन भीतर में प्रतिपल संसार के पोषण के ही परिणाम चलते रहते है। हमारे भीतरी परिणामों को हरसमय आत्म निरीक्षण करते रहना चाहिए।

ज्ञानदशा आयेगी तब उसके अनुरूप आचरण आयेगी। ज्ञान होने मात्र से उद्धार नही होने वाला है तथा मात्र क्रिया करते रहने से कल्याण नही होगा। ज्ञान सहित क्रिया से ही कल्याण होगा। ज्ञान किसी ओर का होगा तो भी चलेेगा लेकिन क्रिया स्वयं की होना जरूरी है। मल्लीनाथ भगवान ने पूर्व के भवों में माया की इसलिए अंतिम भव में स्त्री रूप में जन्म लेना पड़ा।

रूक्मणी साध्वी ने माया करके एक लाख भव की भव भ्रमणा बढ़ा दी। मुनि श्री ने कहा कि हमारी क्रिया धर्म की है और लक्ष्य संसार वृद्धि का है। हमने जो संसार से तरने के स्थान थे उसे डूबोने के स्थान बना दिया। हमारे भाव लोगों के सामने अच्छे दिखने के है लेकिन अच्छे बनने के नही है। जहां माया है वहां सरलता नही हो सकती तथा जहां सरलता है वहां माया नही हो सकती है।

दोनों ही एक-दूसरे के विपरीत तत्व है। शुद्ध अंतःकरण से निष्कपट भावों से आलोचना की जावे तो अनंत भव भ्रमणा अल्प भव में सीमित हो जाती है।

मुनि श्री ने कहा कि एक घड़ा अनछाना पानी पीने से एक साल में मच्छीमार जितनी मछली मारता है उतना पाप लगता है। हम जो भी क्रिया करे उसे आत्मा को केन्द्रित रखकर करे।

सामुहिक 108 दादा गुरूदेव इकतीसा पाठ का आयोजन शुक्रवार को खरतरगच्छ चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष प्रकाशचंद संखलेचा व मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि खरतरगच्छ की राजधानी बाड़मेर नगर में चातुर्मास में होने वाली विविध आराधनों को लेकर 27 सितम्बर, शुक्रवार को परम पूज्य गणाधीश पन्यास प्रवर विनयकुशल मुनिजी म.सा. की निश्रा में अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ युवा शाखा के तत्वाधान में विश्व शांति, संघ एकता, शांति व समृद्धि की कामना की भावना के साथ प्रातः 6.00 बजे स्थानीय आराधना भवन में संगीतमय सामुहिक 108 दादा गुरूदेव इकतीसा पाठ का आयोजन किया जा रहा है।

इस भव्य अनुष्ठान में सभी को सहभागी बनने का अह्वान किया गया है। अनुष्ठान में भाग लेने वाले आराधक अपने साथ में 36 मिश्री, 36 लोंग, 36 इलायची लेकर गये।

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