रायपुरम संघ ने की 2020 चातुर्मास की विनती
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में जयधुरंधर मुनि, जयकलश मुनि, जयपुरंदर मुनि एवं समणी श्रीनिधि, श्रुतनिधि, सुधननिधि के सानिध्य में ज्ञान पंचमी का पर्व जाप – अनुष्ठान के साथ मनाया गया ।
इस अवसर पर जयपुरंदर मुनि ने कहा ज्ञान की महिमा अपरंपार है। ज्ञान के अभाव में मनुष्य नेत्रवान होता अंधा एवं मनुष्य होता हुआ भी पशु के समान है। ज्ञान के आलोक में ही निर्मल चारित्र का आराधन किया जा सकता है। समस्त लौकिक एवं लोकोत्तर संपत्ति का मूल ज्ञान है।
ज्ञान के प्रभाव से ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। ज्ञान के द्वारा ही करणीय एवं अकरणीय का बोध होता है। जिस प्रकार सुई के साथ अगर धागा पिरोया हुआ रहता है तो वह कहीं गुम नहीं हो सकती इसी प्रकार अगर आत्मा के साथ ज्ञान है तो वह कहीं भटक नहीं सकती।
मुनि ने वरदत्त और गुणमंजरी के कथानक के माध्यम से ज्ञान पंचमी का महत्व बताते हुए कहा इस दिन जप और तप के साथ सभी ज्ञानियों को नमस्कार करते हुए विधिवत आराधना करने से मंद बुद्धि व्यक्ति भी बुद्धिमान बन जाता है और साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जीव के द्वारा पूर्व भव में उपार्जित ज्ञानावरणीय कर्म के उदय में आने के कारण व्यक्ति के ज्ञान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है और बुद्धि अवरुद्ध हो जाती है।
ज्ञान और ज्ञानियों की निंदा करने से, आशातना करने से, उनके प्रति द्वेष रखने से, उनके साथ झूठा विवाद करने से तथा ज्ञान और ज्ञानी का नाम छुपाने से ज्ञानावर्णीय कर्म का बंध होता है। पूर्वकृत ज्ञानावर्णीय कर्म के निवारण एवं क्षयोपशम हेतु ज्ञान पंचमी की आराधना एक सहज उपाय है।
ज्ञान पंचमी के उपलक्ष में भक्तामर स्तोत्र के छठे श्लोक का सामूहिक अनुष्ठान करवाया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। साथ ही मुनिवृंद द्वारा शुद्ध आराधना हेतु सरस्वती स्तोत्र का उच्चारण किया गया। अनेक श्रावक – श्राविकाओं ज्ञान पंचमी की आराधना निरंतर 5 वर्ष 5 मास तक करने के लिए उपवास अथवा एकशन तक के साथ संकल्प लिया।
धर्म सभा में एसएस जैन संघ रायपुरम के अध्यक्ष पारसमल कोठारी ,मंत्री नरेंद्र मरलेचा के नेतृत्व में 45 सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल ने मुनि वृंद के समक्ष आगामी 2020 का चातुर्मास रायपुरम में करने हेतु पुरजोर विनती प्रस्तुत की।
नॉर्थटाउन बिन्नी मिल संघ के अध्यक्ष भीमराज डूंगरवाल एवं सदस्यों ने चतुर्मास उपरांत प्रथम विहार एवं जयमल दीक्षा दिवस का कार्यक्रम अपने क्षेत्र में करने हेतु निवेदन किया जिस पर मुनिवृंद ने स्वीकृति प्रदान की।समणी वृंद के सानिध्य में 3 अक्टूबर से प्रातः 7:30 बजे जैन अणुप्पेहा ध्यान योग साधना का सप्त दिवसिय शिविर प्रारंभ होगा।