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ज्ञान वाणी

ज्ञान की कोई सीमा नहीं: ज्ञानमुनि

ज्ञान की कोई सीमा नहीं: ज्ञानमुनि

शांति भवन में विराजित ज्ञानमुनि ने कहा कि मनुष्यों को कुछ ग्रहण करना है तो अच्छा ही ग्रहण करें। हमेशा गुण लें अवगुणों से बचें कोयला छोड़ हीरा ग्रहण करें।

हमारे पूर्वजों संतों व ज्ञानियों ने बहुत मेहनत करके सारे ज्ञान का स्रोत हमें दिया है, हमें उस सार को ग्रहण करना चाहिए।

शास्त्र व ज्ञान अनंत है इनकी कोई सीमा नहीं है,लेकिन उम्र बहुत कम है और ज्ञान बहुत है इसलिए ज्ञान का सार भले ही थोड़ा लें लेकिन ले लेना चाहिए। हमेशा गुणों की भक्ति करें व उनका गुणगान करें साथ ही अवगुणों का त्याग करें।

भले ही दुश्मन के पास ही हो लेकिन गुण ले लें। दृष्टि का फर्क है कोई कचरे को तो कोई स्वर्ग को देखता है।

इसी प्रकार दोषों को न देखें नहीं तो दूषित हो जाएंगे बिना अक्ल, ज्ञान व समझदारी के जीवन में भटकाव, दुख, तकलीफ व पश्चाताप होता है। ज्ञान हमेशा काम आता है व रक्षा करता है इसलिए ज्ञान ग्रहण करें।

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