माधावरम्, चेन्नई 22.08.2022 ; श्री जैन तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट की आयोजन में जैन तेरापंथ नगर, माधावरम् में तपोभिनन्दन का कार्यक्रम मुनि श्री सुधाकरकुमारजी के सान्निध्य में रखा गया। मुनि श्री ने कहा कि ज्ञान और सत्ता को पचाना और हजम करना बहुत बड़ी तपस्या है। अधिकतर लोग शिक्षा पाकर तथा किसी भी क्षेत्र में सफल होकर अभियान से ग्रसित हो जाते है। अभिमान ज्ञान और सफलता का अजीर्ण है। “सच्ची शिक्षा वह है जिससे सही दृष्टिकोण का निर्माण होता है।” जो स्वार्थ परायण व मोह ग्रस्त होता है, उसकी शिक्षा भी भार हो जाती है। जिस प्रकार गन्दे बर्तन में डालने से पवित्र वस्तु भी मलिन हो जाती है। इसी प्रकार, मिथ्या दृष्टिकोण वाले मनुष्य का ज्ञान भी अज्ञान है। भगवान महावीर की वाणी का यह सार है।
मुनि श्री ने आगे कहा कि भारतीय संस्कृति में विनय और सहिष्णुता पर बहुत बल दिया है। जो व्यक्ति जितना अधिक विद्वान और अधिकार सम्पन्न होता है, उसे उतना ही अधिक नम्र और उदार होना चाहिये। जो ज्ञान और सफलता को हजम करना नहीं जानता, उसके लिए सत्ता और सफलता भी पतन का कारण हो जाते है। मुनिश्री से श्रीमती प्रियंका बाफणा ने ग्यारह की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। ट्रस्ट बोर्ड द्वारा सम्मान किया गया। तपस्विनी के भाई ने अनुमोदना के स्वर प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर प्रवचन के बाद जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष श्री नरेंद्रजी नखत, महामंत्री श्री विनोदजी वैद, संरक्षक श्री प्यारेलाल पितलिया, सभाध्यक्ष श्री उगमराज सांड, ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी श्री घीसूलाल बोहरा, जैन महासंघ के उपाध्यक्ष श्री विमल चिप्पड़, कोषाध्यक्ष श्री कांतिलाल भण्डारी, निवर्तमान अध्यक्ष श्री पन्नालाल सिंघवी ने मुनि वृद के दर्शन कर सेवा उपासना की। मुनि श्री गुरु भक्ति, संघनिष्ठा की विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि गुरु हमारे जीवन के सर्वच्च हैं, प्राण, त्राण और आधार है, गुरु इंगित की आराधना करना ही सबसे बड़ा धर्म हैं।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरुप चन्द दाँती
स्वरुप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट,
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