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ज्ञान वाणी

ज्ञान और आचार का हो अनुशीलन: आचार्य महाश्रमण

ज्ञान और आचार का हो अनुशीलन: आचार्य महाश्रमण

करूर. यहां लॉर्डस पार्क मैट्रिक हायर सेकंडरी स्कूल में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने कहा आदमी के जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व होता है। शास्त्रकार ने कहा पहले ज्ञान और फिर आचरण।

ज्ञानपूर्वक किया जाने वाला कार्य ठीक हो सकता है। अध्यात्म के क्षेत्र में भी ज्ञान का बहुत महत्त्व है। यथार्थ बोध स यक ज्ञान होता है। वह ज्ञान और महत्त्वपूर्ण है जो आदमी को मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ाने में बहुत सहयोग करने वाला होता है। जिस बोध से आदमी राग से वीराग की ओर आगे बढ़े और जिससे आदमी की चेतना मैत्री से भावित हो जाए, उसे ज्ञान कहा गया है।

इसलिए पहले ज्ञान हो और फिर आचरण हो। आदमी पहले पाप को जाने और फिर उसे छोडऩे का प्रयास करे। आदमी के जीवन में ज्ञान और आचार दोनों का योग है तो जीवन परिपूर्ण हो सकता है।

आचार्य ने ज्ञान और आचार के महत्त्व को बताते हुए कहा कि अज्ञान एक अभिशाप के समान है। अज्ञान के कारण आदमी अपने हित-अहित का भेद ही नहीं कर पाएगा तो वह अपनी जिंदगी में आगे कैसे बढ़ सकता है। ज्ञान प्रकाशपुंज है।

आदमी को ज्ञान प्राप्ति की दिशा में आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान आदमी के आचार में आए तो वह आदमी को और आगे ले जाने वाली हो सकती है। इसलिए आदमी को ज्ञान और आचार दोनों का अनुशीलन कर अपने जीवन को मोक्ष की दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए।

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