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ज्ञानियों ने प्रेम के चार रूप कहे हैं: धैर्याश्रीजी म.सा.

ज्ञानियों ने प्रेम के चार रूप कहे हैं: धैर्याश्रीजी म.सा.

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली अध्यक्ष, विजयराज चुत्तर, मंत्री, हस्तीमल बाफना 

-:कम्मनहल्ली में प्रवचन:-

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने बताया अंग्रेजी वर्णमाला का पांचवा अक्षर E प्रेरणा देता है, एक्सटेंड योर लव अपने प्यार को फैलाओ। आपको रस किसमें पैसा बढ़ाने में या प्यार बढ़ाने में? ज्ञानियों ने प्रेम के चार रूप कहे हैं पहले गुरु शिष्य के प्रेम में आध्यात्मिक विशुद्धता पाई जाती है, दूसरा माता पुत्र के प्रेम में स्नेहात्मक उज्जवलता पाई जाती है, तीसरा भाई बहन के प्रेम में भावों की पवित्रता पाई जाती है, चौथा पति-पत्नी के प्रेम में मन की मादकता पाई जाती है। इसको अच्छी तरह से समझाया।

परम पूज्य आगम श्रीजी महाराज साहब ने संयम के बारे में बताया। संसार और संयम की विशेषता को बताया। इंद्रियों का संयम, मन वचन काया का संयम। जब व्यक्ति संसार के असारता को जान लेता है वह कभी भी संसार की मोहजाल में नहीं फसता। दीक्षार्थी मोक्ष चोपड़ा के संयम पथ पर अग्रसर होने की बधाई दी गई। संघ की तरफ से दीक्षारती बहन का अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने अभिवादन किया। संचालन सुधीर सिंघवी ने किया।

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