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ज्ञान वाणी

ज्ञानशाला से संभव है सुसंस्कारित पीढ़ी का निर्माण : आचार्य श्री महाश्रमण

ज्ञानशाला से संभव है सुसंस्कारित पीढ़ी का निर्माण : आचार्य श्री महाश्रमण

पुरूषार्थ एक ऐसा तत्व है, जो हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है| आदमी जीवन में ध्यान दें कि वह पुरूषार्थ क्या करता है, क्या नहीं करता है, ठीक कर रहा हैं या नहीं? एक बच्चा है, उसके माता पिता या अभिभावक ध्यान देते हैं कि मेरा बच्चा कैसे योग्य बने| अगर वे ध्यान नहीं देते हैं तो वे चाहे अनचाहे किसी भी रूप में शत्रुता का काम करते हैं|

वे माता पिता शत्रु हैं, जो बालक को नहीं पढ़ाते एवं बालक को अच्छे संस्कारों से सुवासित नहीं करते|बाल्यकाल निर्माण का समय है, अध्ययन का समय है एवं कुछ अर्जन करने का समय हैं, उपरोक्त विचार माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ज्ञानशाला दिवस पर श्रद्धालुओं को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहे|

तेरापंथ धर्मसंघ में ज्ञानशाला का सुन्दर उपक्रम

आचार्य श्री ने आगे कहा कि बच्चों को विधालय में ज्ञान प्राप्ति के साथ अच्छे संस्कार भी मिल सकते हैं| माता पिता ध्यान देवे कि बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ उनका धार्मिक ज्ञान बढ़ सके और अच्छे संस्कार आये| तेरापंथ धर्मसंघ में ज्ञानशाला का एक सुन्दर उपक्रम चलता है|

ज्ञानशाला निर्माण शाला है, संस्कार शाला है और धर्म की पाठशाला है|कितने कितने बच्चे ज्ञानार्थी के रूप में ज्ञानशाला से जुड़े हुए हैं| समाज के बच्चों में धार्मिक ज्ञान के संस्कार पुष्ट हो| ज्ञानशाला में कितने कितने प्रशिक्षण देने वाले, सेवा देने वाले एवं व्यवस्था करने वाले व्यक्ति अपने समय और श्रम का नियोजन कर रहे हैं|

“प्रशिक्षण, व्यवस्था व ज्ञानार्थी” – यह त्रिआयामी उपक्रम हैं ज्ञानशाला

आचार्य श्री ने आगे कहा कि प्रशिक्षण, अपेक्षानुसार व्यवस्था व ज्ञानार्थी – यह त्रिआयामी उपक्रम है ज्ञानशाला| आचार्य श्री ने खीर का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे खीर बनाने के लिए दूध, चावल, चीनी की अपेक्षा रहती हैं, उसी तरह ज्ञानशाला के लिए भी ये तीनों आवश्यक है, तभी ज्ञानशाला पूर्णता की ओर अग्रसर होगी|

महासभा कर रही मूल को सिंचन देने का प्रयास

आचार्य श्री ने आगे कहा कि समाज का दायित्व है कि वे बच्चों के विकास की ओर ध्यान दें| बच्चे अच्छे तो समाज का भविष्य अच्छा| बच्चों की पौध, फुलवारी अच्छी होगी तो समाज का कल्याण हो सकता है| ज्ञानशाला जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा का उपक्रम है, जो मूल को सिंचन देने का प्रयास कर रही हैं|चाहे सप्ताह में एक दिन भी ज्ञानशाला चले, वह खुराक महत्वपूर्ण है, संस्कारों के संपोषण में सिद्ध हो सकती हैं|

*बिना वेतन सेवा भावना – निर्जरा की भावना

आचार्य श्री ने आगे कहा कि कार्यक्रम में प्रस्तुतियों से अनुमान लगाया जा सकता है कि उसमें तैयारी, श्रम व समय लग रहा है| प्रशिक्षण देने वाले और व्यवस्थापक न तो वेतन, न किसी ओर प्राप्ति की अपेक्षा के बिना निस्वार्थ भाव से सेवा दे रहे हैं|बिना वेतन सेवा भावना निर्जरा की भावना हैं|

*योग्य योग्य को दे सकता है प्रशिक्षण

आचार्य श्री ने आगे कहा कि प्रशिक्षण देने वालो को भी प्रशिक्षण दिया जाता है, प्रशिक्षक प्रशिक्षित होकर योग्यता सम्पन्न बन सकते हैं| प्रशिक्षक योग्य होगा तो योग्य को शिक्षण दे सकेगा, ऐसा प्रतीत हो रहा हैं|

*जीवन संस्कारमय और आलोकमय हो

आचार्य श्री ने आगे कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में जगह जगह ज्ञानशालाएँ भविष्य की पीढ़ी का निर्माण कर रही हैं| जहां ज्ञानशाला नहीं चलती है वहां शुरू हो सकती हो तो, ध्यान दिया जा सकता हैं| जहां चल रही है, वहां के कार्यकर्ता एवं स्थानीय सभा ध्यान दे कि ज्ञानार्थियों की संख्या बढ़ सकती है क्या?

धर्म के छोटे छोटे तत्व बोध, देव, गुरू, धर्म, आचार्यों एवं तीर्थकरों के नाम बच्चों को कंठस्थ हो| जो प्रतिभाशाली बच्चे तत्व बोध को कंठस्थ कर लेते हैं उनका जीवन संस्कारमय और आलोकमय हो सकता हैं| ज्ञानशाला दिवस निमित्त हैं, विकास की बात पर ध्यान दे| ज्ञानशाला का यह पौधा विकसित होता रहे, इसे आश्रय, छत्र-छाया प्राप्त हो, प्रेरणा के जल का सिंचन मिलता रहे तो भावी पीढ़ी के अच्छे निर्माण का काम हो सकता है| ज्ञानशाला रूपी महत्वपूर्ण उपक्रम खूब अच्छे ढ़ग से सुरक्षित हो, विकसित हो, अच्छी पीढ़ी का निर्माण अभिलक्षणीय हैं|

*पर्युषण में हो आत्म साधना

आचार्य श्री ने आगे कहा कि जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ का पर्युषण पर्व 7 सितम्बर से शुरू हो रहा हैं, संवत्सरी महापर्व 14 सितम्बर को हैं| पर्युषण पर्व के नियम बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि साधक ज्यादा से ज्यादा आत्म साधना का प्रयास करें|

*ज्ञानार्थियों को कराये सम्यक्त्व दीक्षा के संकल्प

परम् पूज्य आचार्य प्रवर ने 8 वर्ष के ऊपर के ज्ञानार्थियों को सम्यक्त्व दीक्षा (गुरू धारणा) के संकल्प स्वीकार करवाये|

*व्यक्ति भयमुक्त जीवन जीने का प्रयास करे : साध्वी प्रमुखाश्री

साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कहा कि इस संसार में अनेक प्रकार के प्राणी हैं – कुछ डरपोक, कुछ साहसी| जो संवेदनशील है, भयभीत रहते हैं, वे सही काम करते हैं, फिर भी आशंका रहती हैं कि कही गलत न हो जाएं|क्षण क्षण आशंकित व्यक्ति जीवन में प्रगति नहीं कर सकता| अत: व्यक्ति भयमुक्त जीवन जीने का प्रयास करें|
मुनि सुधाकर, साध्वी प्रमीलाश्री, साध्वी सुषमाकुमारी ने भी तपस्या की प्रेरणा दी|

*ज्ञानशाला की सुन्दर प्रस्तुति एवं भव्य रैली

ज्ञानशाला दिवस पर ज्ञानार्थियों द्वारा ग्यारह आचार्यों पर आधारित सुन्दर एवं मनमोहन प्रस्तुति को पुरे महाश्रमण समवसरण ने ऊँ अर्हम् की ध्वनि से वर्धापित किया| ज्ञानार्थियों द्वारा साध्वी प्रमुखाश्री द्वारा रचित प्रेरक गीतिका का सामूहिक संगान किया गया| सात वर्षीय ज्ञानार्थी अस्मिता आच्छा ने भक्तामर पाठ का उच्चारण किया|प्रात: ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों एवं प्रशिक्षकों द्वारा जैन तेरापंथ नगर में भव्य रैली एवं झांकीयों का आयोजन किया गया|

तेरापंथ सभा मंत्री श्री विमल चिप्पड़, ज्ञानशाला संयोजक श्री सुरेशचन्द बोहरा ने स्थानीय ज्ञानशाला के बारे में जानकारी निवेदित की| तपस्वीयों ने आचार्य प्रवर के श्रीमुख से तपस्या का प्रत्याख्यान किया| आज के कार्यक्रम की आयोजना में ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक श्री कमलेश बाफणा, चेन्नई ज्ञानशाला सहसंयोजक श्री नरेन्द्र भंडारी एवं अन्य कार्यकर्ताओं का सराहनीय सहयोग रहा| ज्ञानशाला दिवस के प्रायोजक श्रीमती कमलादेवी श्री हंसराज, नितेश, अरिहंत गिरिया परिवार का सम्मान तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ ने किया|

कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार ने किया| तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का अधिवेशन एवं दो दिवसीय जैन ज्योतिष कार्यशाला का समापन पुज्य प्रवर के मंगल पाठ के साथ हुआ|

*✍ प्रचार प्रसार विभाग*
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*

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