चैन्नई शहर की उपनगरीय ज्ञानशालाओं में ट्रिप्पलीकेन ज्ञानशाला प्रमुख ज्ञानशाला है । जून माह के प्रथम सप्ताह में नये सत्र का शुभारम्भ होता है । ताम्बरम में प्रवासित मुनि श्री रमेश कुमार जी एवं मुनि सुबोध कुमार जी के दर्शनार्थ ट्रिप्पलीकेन ज्ञानशाला के बच्चे, प्रशिक्षिकाएं व्यवस्थापक आदि ने दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त किया ।
बच्चों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए मुनि रमेश कुमार ने कहा – बच्चों को प्रारम्भ से ही अच्छे विचार और अच्छे संस्कार देने चाहिए । शिक्षा के साथ संस्कार निर्माण पर ध्यान दिया जाये तो बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकता है ।
ज्ञानशाला अद्भुत संस्कार निर्माण शाला बनें । ज्ञानशालाओं के द्वारा बच्चों में के मन में दिव्य गुणों का विकास हो। जीवन का परिष्कार होता हो । बालकों के मन, बुद्धि और भावना में सकारात्मक सोच का भी विकास हो। नये सत्र में आपके क्षेत्र की ज्ञानशाला नई ऊंचाईयों को प्राप्त करें ।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा – भारतीय संस्कृति में पुरुषार्थ चतुष्य का महत्व है । धर्म, काम,अर्थ और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ की विशद् चर्चा है । जो जीवन के इर्द-गिर्द रहती है । प्रारम्भ से ही धर्म और मोक्ष की ओर ध्यान देना चाहिए तभी हम धार्मिक कहला सकते हैं ।
इससे पूर्व ज्ञानार्थीयों ने सामूहिक वंदना की । ज्ञानशाला गीत से मंगलाचरण हुआ । विजय जी गेलडा ने ज्ञानशाला का परिचय दिया । सम्पतराज जी गांधी ने ताम्बरम सभा की ओर से स्वागत किया ।
ट्रिप्पलीकेन ज्ञानशाला के व्यवस्थापक माणक चंद जी बोहरा, ज्ञानशाला की मुख्य शिक्षिका सरिता संचेती, संयोजिका ममता मुथा, प्रशिक्षि का मीना मुथा, कुसुम छल्लाणी, शशिकला बरडिया, रमा बरङिया आदी अनेक प्रशिक्षिएं भी इस अवसर पर उपस्थित थी ।