Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

ज्ञानशाला निखारती संस्कारो के सौंदर्य को- मुनि श्री अर्हत कुमारजी

ज्ञानशाला निखारती संस्कारो के सौंदर्य को- मुनि श्री अर्हत कुमारजी
तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव में ज्ञानार्थीयों ने शानदार प्रस्तुतियां
  ज्ञानशाला वह प्रयोगशाला है जहा बच्चों के जीवन को स्वर्ण के समान निखारा जाता है। ज्ञानशाला वह उपक्रम है जहा बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण होता हैं। उपरोक्त विचार तेरापंथ सभा द्वारा आयोजित ज्ञानशाला वार्षिक उत्सव में मुनि श्री अर्हत् कुमार ने कहें।
मुनि श्री ने आगे कहा कि आज पाश्चात्य संस्कृति ने हमारे संस्कारो, संस्कृतियों पर आक्रमण कर हमारे जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों का विनाश किया है और ऐसे भीषण समय में ज्ञानशाला एक सुरक्षा कवच है। आचार्य श्री तुलसी ने धर्मसंघ को अनेक आयाम दिए है, पाश्चात्य संस्कृति की विषैली हवा से बदलते संस्कारो की दुर्दशा देख भोले भाले बचपन को इस हवा से सुरक्षित रखने के लिए ज्ञानशाला का यह सुनहरा उपहार तेरापंथ धर्म संघ को दिया।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आज माँ बाप अपने बच्चों को ज्ञानशाला नहीं भेजना चाहते है, वे कहते है की हमारे पास ज्ञानशाला भेजने का समय नहीं है। पर वे यह नहीं जानते की ज्ञान तो स्कूल से भी मिल सकता है, पर उस ज्ञान का उपयोग कहाँ व कैसे करना यह सीखती है – ज्ञानशाला। ज्ञानशाला नैतिक मूल्यों के विकास में अहम भूमिका निभाती है। हमें अपने बच्चों को निरन्तर ज्ञानशाला भेज कर बच्चों के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करना चाहिए। सहयोगी संत मुनि श्री भरत कुमारजी ने कहा जिसके मन में बडो के प्रति सत्कार है, जिसका पढ़ाई से प्यार है, जिसके दिल में धार्मिक संस्कार है, वही बच्चा फिर घर का बनता कर्णधार है। मुनि जयदीप कुमार जी ने कहा ज्ञानशाला वह कॉलेज है, जिसमें संस्कारों की अनमोल शिक्षा दी जाती है। ज्ञानशाला इंश्योरेंस की तरह होती है, जो जिंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी साथ में रहती हैं।
इससे पूर्व शुभारंभ सत्र में तेरापंथ सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया ने ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश बोहरा व आंचलिक संयोजक कमलेश बाफणा द्वारा प्रदत्त ज्ञानशाला ध्वज को स्थापित किया। स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया ने बैंगलोर से समागत अतिथि श्रावकों, स्थानीय श्रावकगण, प्रायोजकगण, ज्ञानशाला परिवार सहित उपस्थित परिषद का स्वागत व अभिनंदन करते हुए ज्ञानशाला परिवार को उत्तम कार्य के लिए हार्दिक बधाई दी। कमलेश बाफणा ने अपने वक्तव्य में चेन्नै ज्ञानशाला की प्रशंसा करते हुए हार्दिक बधाई संप्रेषित की। ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश बोहरा ने ज्ञानशाला की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम की सफलता में सहयोगी रहे सभी व्यक्तियों के प्रति आभार व्यक्त किया। मानकचंद बोहरा, सम्पतराज गांधी, राजश्री डागा, सुबोध सेठिया व दीपाली सेठिया को उत्कृष्ट सेवा के लिए चेन्नै ज्ञानशाला गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ज्ञानशाला परिवार द्वारा उत्तर तमिलनाडु आंचलिक संयोजक कमलेश बाफणा व ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश बोहरा का कृतज्ञ भाव से स्वागत किया गया।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ज्ञानशाला प्रकोष्ठ द्वारा विगत दो वर्ष (2019 व 2020) के लिए श्रेष्ठ ज्ञानार्थी, उत्तम ज्ञानशाला, श्रेष्ठ प्रशिक्षक, श्रेष्ठ सहयोगी प्रशिक्षक व वरिष्ठ प्रशिक्षक आदि चयनित व सम्मान प्राप्त आठ ज्ञानशालाओं, ज्ञानार्थियों तथा प्रशिक्षकों का विशेष सम्मान किया गया। शिशु संस्कार बोध परीक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय तथा श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त करने वाले ज्ञानार्थियों का सम्मान प्रमाण पत्र व उपहार भेंट कर किया गया। ज्ञानशाला की निर्धारित आयु पार करने वाले ज्ञानार्थियों को ससम्मान विदाई दी गयी। विभिन्न परीक्षाओं में सफल प्रशिक्षिकाओं तथा ज्ञानशाला में उपस्थिति के आधार पर विविध वर्ग में प्रशिक्षिकाओं का सम्मान किया गया।
तेरापंथी सभा द्वारा प्रायोजकगण का मेमेंटो  प्रदान कर सम्मान किया गया। ज्ञानार्थियों व प्रशिक्षकों के लिए अनेक आकर्षक, अनूठे व रोचक खेल कार्यक्रम आयोजित किये गए। विजेताओं को तत्काल पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन कविता सोनी, चेतना बोहरा व कविता मेडतवाल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन नरेंद्र भंडारी ने किया। कार्यक्रम में श्रावक समाज की गरिमामय उपस्थिति के साथ,बैंगलोर से समागत तेरापंथ युवक परिषद् सदस्य, सभाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, निवर्तमान अध्यक्ष विमल चिप्पड़, मंत्री गजेंद्र खाँटेड, कोषाध्यक्ष अनिल सेठिया, सहमंत्री विकास सेठिया, दिलीप मुणोत, संगठन मंत्री राजेन्द्र भंडारी एवं सभी संघीय संस्थाओं के पदाधिकारी, अभिभावक आदि उपस्थित थे। शानदार संख्या में निर्धारित गणवेश में उपस्थित ज्ञानार्थियों व प्रशिक्षकों ने अत्यंत हर्षोंल्लास व उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में सहभागिता अंकित करवाई। कार्यक्रम की सफलता में कार्यकर्ताओं की समर्पित व कार्यकुशल टीम का विशेष योगदान रहा। भोजन की सुन्दर व्यवस्था विनोद डांगरा, अनिल सेठिया एवम उनकी पूरी टीम का विशेष सहयोग रहा।
    विनय के गुण को अपनाएं, घर को स्वर्ग बनाए : मुनि अर्हत कुमार
तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में आयोजित अभिनन्दन समारोह में मुनि श्री अर्हतकुमार ने कहा कि श्रावक समाज का विन्रमता से युक्त होने पर उनका घर स्वर्ग के समान होता है, दूसरे लोग भी उनका उदाहरण दे सकते हैं। विनयवान व्यक्ति में बाकी के सभी गुण समाहित हो जाते है।
घरों में बिखराव के मूल में सामजस्य की कमी का होना होता है। पढ़ाई के साथ में गड़ाई होने पर व्यक्ति सामजस्य की ओर अग्रसर हो सकता है। इगो आते ही व्यक्ति की इमेज चली जाती हैं। ज्यों ज्यों ज्ञान बढ़े, विन्रमता भी बढ़नी चाहिए। केवलज्ञान समुद्र हैं, सीए, एम टेक बुन्द हैं।
मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि झुकता वही है, जिसमें कुछ ज्ञान है .. अकड़पन तो मुर्दों की पहचान है।झुकने वाला ही महान होता है। बड़ों के साथ विन्रमता का व्यवहार करना चाहिए। बड़ों के चित्त में समाधि उत्पन्न करना धर्म है। विद्या लेने वालों को शिष्य बन कर विद्या ग्रहण करनी चाहिए। मुनि वृंद मंगलवार को तेरापंथ सभा भवन तड़ीयारपेट पधारेंगे।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar