बेंगलुरु। मेहनत का फल सदैव मीठा होता है। मेहनत एक ऐसा हथियार है जिसकी सहायता से मनुष्य आलस्य रूपी दुश्मन को मार कर अपनी सफलता का मार्ग आसान बना सकता है। इस संसार में बिना मेहनत के कुछ भी नहीं प्राप्त हो सकता। बैठे-बैठे केवल सपने बुनने से या ख्याली पुलाव पकाने से कार्य की सिद्धि नहीं होती। बल्कि उसके लिए हमें हाथ पैर हिलाने पढ़ते हैं कठोर परिश्रम करना पड़ता है।
तब ही हमें उसका फल प्राप्त होता है। यह विचार व्यक्त किए आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने। यहां अक्कीपेट संघ के तत्वावधान में बुधवार को अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि संसार में किसी भी क्षेत्र में जितने भी प्रसिद्ध लोग हुए हैं, सब ने अपने मेहनत के बल पर ही वह मुकाम हासिल किया है जिस पर वह आज हैं।
मेहनती व्यक्ति यदि मिट्टी को भी हाथ लगाएगा तो वह सोना बन जाएगी और आलसी व्यक्ति सोने को भी हाथ लगाएगा तो वह मिट्टी बन जाएगा। यही मेहनत का महत्व है। आचार्य श्री बोले, जो मेहनत से नही घबराते दुनिया जहान उनकी मुट्ठी में है। जो आलसी और कामचोर होते हैं वो केवल हाथ मलते रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति का एक सिद्धांत है मेहनत करोगे तो ही फल मिलेगा।
ये सिद्धांत संसार के सभी प्राणियों पर लागू होता है, चाहे वो मनुष्य हों या जानवर हों। यदि आप मेहनत करने में सक्षम है, तो आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं, परंतु यदि आप आलस्य से परिपूर्ण है तो आप कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
मेहनती व्यक्ति यदि चाहे तो वह बंजर जमीन में भी फसल उगा सकता है और रेगिस्तान से भी पानी निकाल सकता है, परंतु आलसी व्यक्ति तो सामने रखा हुआ पानी भी पीने में असमर्थ होता है I अंत में आचार्यश्री ने यह भी कहा की यदि आप अपने जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आप मेहनती बनिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कीजिए।