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जो मनुष्य कषायों का त्याग करता है वह मोहनीय कर्मो को भी क्षय कर देता है: साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी

जो मनुष्य कषायों का त्याग करता है वह मोहनीय कर्मो को भी क्षय कर देता है: साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी

आज विजयनगर स्थानक भवन में जैन सिद्धान्ताचार्य साध्वीश्री प्रतिभाश्रीजी ने अपने प्रवचनों के दौरान कहा कि जो मनुष्य कषायों का त्याग करता है वह मोहनीय कर्मो को भी क्षय कर देता है। चार प्रकार के कषाय होते हैं मान, माया, लोभ, क्रोध, जो इनमें रम जाता है वह अपनी आत्मा को खराब कर देता है।और संसार के इस चक्र में फंसा रहता हैं।साध्वी दीक्षिताश्री जी ने सुखी परिवार की व्याख्या करते हुए कहा कि परिवार वही सुखी होता है जँहा माता पिता की सेवा होती हो।वही घर स्वर्ग के समान होता है, यदि घर को स्वर्ग बनाना है तो त्याग,सेवा एवं आदर की भावना सीखो।

आज बाहर गांवों से कई संघ साध्वीश्री के दर्शनार्थ पधारे।ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानक वासी जैन कान्फ्रेंस के निवर्तमान अध्यक्ष पारसभाई मोदी व पूर्व मानव सेवा के राष्ट्रीय महामंत्री लादूलाल बाफना, रिखबलाल सांखला तथा मुम्बई के राष्ट्रीय पदाधिकारीयों के साथ एक प्रतिनिधि मण्डल गुरु दर्शन हेतु पधारे तथा साध्वीश्री जी की सुख साता पुछकर कांफ्रेंस से संबंधित विचार विमर्श एव धर्मचर्चा की, चित्तौड़ गढ़ से 16 सदस्यों का अहिंसा सेवा संघ दर्शनार्थ आये एवं प्रवचन सेवा का लाभ लिया।संस्कार शुले महिला मंडल ने भी दर्शन, प्रवचन का लाभ लिया।

सभी का संघ के मंत्री कन्हैया लाल सुराणा ने आभार प्रकट किया तथा संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र कोठारी ने अपनी कार्यकारिणी सदस्यों के साथ साल माला से अभिनंदन किया। इस मौके पर जैन कान्फ्रेंस के वरिष्ठ पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री राजेन्द्र प्रसाद कोठारी के साथ कई रास्ट्रीय व प्रान्तीय पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।

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