चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा पिछले कई दिनों से आप लोग सोलह अध्यन के हिंदी विवेचन का श्रवण कर रहे हैं तो थोड़ा अपने अंदर झांकते रहना चाहिए। अध्यन करते समय अगर खुद में बहलाव नजर नहीं आता दिखे तो उसका कारण पता कर लेना।
अन्यथा समय तो जाएगा ही मौका भी हाथ से निकल जायेगा। मौका का फायदा लेना सबको नहीं आता है लेकिन जिनको आता है उनका जीवन ऊंचाइयों पर पहुच जाता है। उन्होंने कहा कि श्रमण धारण करने से कुछ हासिल नहीं होता है।
बल्कि उसकी मर्यादाओं का पालन करना बहुत ही जरूरी होती है। जो मर्यादाओं का पालन नहीं करते उनके जीवन मे उजाला नहीं हो पाता है और मरण के बाद भी आत्मा भटकती रहती है।
जीवन जब तक है तब तक मर्यादा में रह कर बदल लेना चाहिए। एक बार मौका हाथ से गया तो समझो जीवन का सबसे कीमती वस्तु हाथ से निकल गया। उन्होंने कहा कि जिन साधु में संयम का भाव नहीं होता है वह साधु सच्चे साधु नहीं होते है। साधु का पहला कर्तव्य संयम में रहना और दूसरो को भी संयम में रहने की सलाह देना है।
आंखों में धूल झोंकने वालो का जीवन तो पतन की ओर जाता ही है साथ मे दूसरो का जीवन भी पतन में झोंक देते हैं। ऐसे लोगो से बच कर रहना ही सही होता है। उन्होंने कहा कि संसार के सुख छड़ भर के हैं। इसके पीछे भागने से शुभ अवसर जा रहे हैं।
जब तक मनुष्य सुख को छोड़ कर शुभ के पीछे नहीं जाएगा तब तक आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। लोगो को लगता है कि मौका आता जाता रहेगा, आज नहीं तो कल कर लेंगे। लेकिन याद रहे जो मौका आज मिला है वह कल वापस कभी नहीं मिलेगा।
दोबारा मौका मिलेगा तो वह किसी और काम के लिए। इसलिए जो आज है वह सिर्फ आज है कल नहीं। मौका मिले तो उसे कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। यहाँ पर आन्नपूर्वी का जाप हर घर में बड़े ही सुंदर रूप से चल रहा है। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया